शिमला, 17 अगस्त : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में प्रश्न पत्र लीक से संबंधित मामले में पुलिस स्टेशन सीआईडी भरारी में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की याचिका को खारिज कर दिया है।
न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने यह आदेश बिहार के जिला नालंदा निवासी रंजीत कुमार (वर्तमान में जेल में) द्वारा पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक मामले में प्राथमिकी रद्द करने के लिए दायर याचिका पर पारित किया। उसके खिलाफ पुलिस स्टेशन सीआईडी, भरारी में अवैध और गैरकानूनी होने के कारण दर्ज किया गया है।
याचिका में बताया गया है कि 05.05.2022 को पुलिस स्टेशन गगल, जिला कांगड़ा में 2022 की एफआईआर संख्या 41 (पहली प्राथमिकी) के तहत आईपीसी की धारा 420 और 120-बी के तहत मामला दर्ज किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि प्रश्न पत्र हिमाचल प्रदेश राज्य के पुलिस विभाग में कांस्टेबलों और ड्राइवरों के पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया के दौरान आयोजित होने वाली लिखित परीक्षा के लिए निर्धारित परीक्षा की तारीख से एक या दो दिन पहले यानी 27.3.2022 को लीक कर दिया गया था। कई लोगों पर आपराधिक साजिश और अपराध के कमीशन में शामिल होने का संदेह था। जांच के दौरान कुछ गिरफ्तारियां हुई हैं। याचिकाकर्ता की मिलीभगत भी पाई गई और उसे 09.06.2022 को गिरफ्तार भी किया गया। याचिकाकर्ता उक्त मामले में 31.07.2022 तक हिरासत में रहा और 01.08.2022 को जमानत पर रिहा हुआ।
पहली प्राथमिकी की जांच के दौरान आरोपित व्यक्तियों से पूछताछ के दौरान कुछ तथ्यों का पता चला था जो घोटाले के अंतर जिला प्रभाव का खुलासा कर रहे थे। पुलिस अधीक्षक कांगड़ा ने निचली अदालतों के क्षेत्राधिकार के मुद्दों की संभावना को भांप लिया था और चूंकि सीआईडी पुलिस स्टेशन भरारी ने पूरे राज्य में अधिकार क्षेत्र का प्रयोग किया था, इसलिए संभावित कानूनी निहितार्थों को ध्यान में रखते हुए मामला दर्ज करने का अनुरोध किया गया था। बाद में 07.05.2022 को भारतीय दंड संहिता की धारा 420 और 120-बी के तहत 07.05.2022 को 2022 की संख्या 5 (दूसरी प्राथमिकी) की एक और प्राथमिकी पुलिस स्टेशन सीआईडी, भरारी, जिला शिमला में दर्ज की गई थी।
याचिका के तथ्यों के अनुसार पहली एफआईआर में जमानत पर रिहा होने के बाद, याचिकाकर्ता को 02.08.2022 को दूसरी एफआईआर में गिरफ्तार किया गया था। उपरोक्त तथ्यों की पृष्ठभूमि में याचिकाकर्ता ने अपने संवैधानिक और वैधानिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हाईकोर्ट ने प्रतिवादी को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया। इसके जवाब में,प्रतिवादी ने 10.8.2022 को एक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें यह कहा गया था कि जांच के दौरान यह पाया गया कि याचिकाकर्ता किंगपिन था जिसने चंडीगढ़ में पूरे मामले का प्रबंधन किया था और व्हाट्सएप पर हल प्रश्न पत्र प्रदान किया था। ऐसी परिस्थितियों में, दूसरी प्राथमिकी में याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी आवश्यक पाई गई और तदनुसार 2.08.2022 को गिरफ्तार कर लिया गया।
याचिकाकर्ता के वकील का तर्क था कि दूसरी प्राथमिकी कानून की दृष्टि से खराब है क्योंकि यह पहली प्राथमिकी को जारी रखने के अलावा और कुछ नहीं है। दोनों एफआईआर में विषय वस्तु समान और अतिव्यापी है, इसलिए दूसरी एफआईआर में याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी अवैध है। आगे यह तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता पहले ही उसी आरोप पर पहली प्राथमिकी में 50 दिनों से अधिक समय तक हिरासत में रहा और दूसरी प्राथमिकी को रद्द करने की प्रार्थना की।
हालांकि, अदालत ने इस आधार पर याचिका खारिज कर दी कि प्रश्न पत्र लीक हुआ था और घोटाले का खुलासा है तथा विभिन्न चैनलों की संलिप्तता का पता चला है। इस मामले में अलग-अलग व्यक्तियों के संबंध में अलग-अलग स्थानों पर धोखाधड़ी हुई है। अदालत ने माना कि तत्काल मामले के तथ्यों में दूसरी प्राथमिकी की अनुमति थी क्योंकि याचिकाकर्ता की प्रथम दृष्टया मिलीभगत पाई गई थी।