शिमला, 12 अगस्त : जुन्गा तहसील के अनेक गांव में गौवंश में लंपी संक्रमण होने के लक्षण पाए गए है। इस संक्रमण से पशुओं की त्वचा पर दाने दाने से नजर आ रहे हैं। जिसके चलते गौवंश में ज्वर होने से घास खाना और दुधारू मवेशियों ने दूध देना भी छोड़ दिया है। इस संक्रमण के फैलने से पशुपालक काफी चिंतित हैं।
पशु अस्पताल कोटी की डाॅ. कनिका ने बताया कि उनके अधीनस्थ चार पंचायतों के 56 राजस्व गांव में पशुधन की संख्या करीब पांच हजार है। जिनमें अभी तक 13 पशुओं में लंपी संक्रमण के लक्षण पाए गए है, जिनमें से एक पशु स्वस्थ हो चुका है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सबसे ज्यादा लंपी संक्रमण के मामले पीरन पंचायत के गांव चलोग, ट्रहाई व पीरन में पाए गए है। डाॅ. कनिका का कहना है कि चिड़न होने से यह रोग तेजी से फैलता है।
पशु औषधालय पीरन के प्रभारी एवं फार्मासिस्ट हरिनंद ठाकुर का कहना है कि लंपी संक्रमण बीमारी से पशु काफी बीमार होने लगे हैं। यह त्वचा रोग है, जिससे गौवंश में विशेषकर बुखार काफी तेजी से आता है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण लोगों के पास केवल एक गौशाला में सभी पशु रहते हैं, जिसके चलते इस रोग के फैलने की ज्यादा संभावना हो जाती है।
उन्होंने बताया कि उपचार के तौर पर पशुओं को पेन्सिलिन, पेरासीटामोल इत्यादि इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं। चलोग गांव के रूप सिंह और राम लाल ने बताया कि लंपी रोग के कारण उनके पशुओं ने बीते एक सप्ताह से घास खाना छोड़ दिया है। जिला भाजपा सदस्य प्रीतम ठाकुर ने सरकार से मांग की है कि लंपी संक्रमण रोग पर नियंत्रण पाने के लिए विशेष पग उठाए जाएं और जुन्गा क्षेत्र के पशु औषधालय मेें प्रचुर मात्रा में दवाईयां उपलब्ध करवाई जाएं।
प्रीतम ठाकुर ने बताया कि पशु औषधालयों में दवाईयों का अभाव है जिस कारण पशुपालकों को इंजेक्शन और दवाईयां स्वयं खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है।