शिमला/प्रकाश शर्मा : कॉमनवेल्थ गेम्स के फाइनल मुकाबले में भारतीय महिला क्रिकेट टीम को हार का सामना करना पड़ा। भारतीय महिला टीम गोल्ड मेडल तो नहीं जीत पाई लेकिन एक और सिल्वर मेडल पर भारत ने कब्जा जमाया है। फाइनल मुकाबला काफी दिलचस्प रहा। एक समय जब टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर और जमीमा रोड्रिगस बैटिंग कर रही थी तो ऐसा लग रहा था कि टीम इंडिया का गोल्ड मेडल जीतना तय है। लेकिन इसके बाद भारतीय पारी लड़खड़ा गई और 10 रनों से मैच हार गई।
कैसा रहा कॉमनवेल्थ गेम्स में रेणुका का सफर
कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय महिला टीम के लिए कई पॉजिटिव रहे। इनमें से सबसे बड़ा पॉजिटिव तेज गेंदबाज रेणुका सिंह रही। रेणुका सिंह का इंडिया को फाइनल तक पहुंचाने में बहुत बड़ा योगदान रहा। इस बात का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि रेणुका सिंह ठाकुर कॉमनवेल्थ गेम्स में सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज रही। फाइनल मुकाबले में भी रेणुका ने दो शानदार विकेट झटके। इसमें पहला विकेट ऑस्ट्रेलिया की सलामी बल्लेबाज एलिसा हेली का था। जबकि पहले मैच में भारत के खिलाफ जीत की हीरो रही ग्रेस हैरिस को भी उन्होंने महज 2 रनों के स्कोर पर चलता किया। हालांकि इंडिया मैच नहीं जीत पाई।
हिमाचल की राजधानी शिमला के रोहड़ू उपमण्डल के पारसा गांव की रहने वाली रेणुका सिंह ठाकुर की प्रशंसा पूरी दुनिया में हो रही है। कॉमनवेल्थ गेम्स के पहले मैच से ही रेणुका सिंह ठाकुर का दबदबा रहा। टीम का पहला मुकाबला ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ था। इस मुकाबले में रेणुका सिंह ठाकुर ने अपने 4 ओवर में चार विकेट लेकर भारत को एक अच्छी स्थिति पर खड़ा कर दिया था। हालांकि यह मैच इंडिया नहीं जीत पाई थी। अगला मुकाबला पाकिस्तान से था। पाकिस्तान के खिलाफ भी रेणुका ने एक विकेट लिया और भारतीय टीम इस मुकाबले को जीत गई थी।
वही, बारबाडोस के खिलाफ रेणुका सिंह ठाकुर ने शानदार प्रदर्शन करते हुए टीम के टॉप आर्डर को धराशाई कर दिया था। इस मैच में रेणुका सिंह ने चार शानदार विकेट झटके जिसकी बदौलत इंडिया टीम ने मुकाबला 100 रनों से जीत लिया था। हालांकि इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में रेणुका सिंह ठाकुर विकेट नहीं ले पाई, लेकिन वहां पर भी उनकी गेंदबाजी काफी शानदार रही। इसके बाद फाइनल मुकाबले में भी रेणुका सिंह ने दो अहम विकेट झटके, जिसकी बदौलत वह कॉमनवेल्थ गेम्स में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली महिला क्रिकेटर बनी।
स्विंग क्वीन के नाम से पहचाने जाने लगी अब रेणुका ठाकुर
कॉमनवेल्थ गेम्स में अपनी शानदार स्विंग गेंदबाजी के बाद अब सोशल मीडिया पर लोग उन्हें “स्विंग क्वीन” के नाम से जानने लगे है। रेणुका की तेज धार गेंदबाजी की हर कोई प्रशंसा कर रहा है।
तीन साल की उम्र में खो दिए थे पिता
रोहड़ू की रेणुका सिंह ठाकुर ने महज 3 साल की उम्र में अपने पिता को खो दिया था। रेणुका जब स्कूल में थी तो उसी समय से उन्होंने टेनिस बॉल खेलना शुरू कर दिया था। रेणुका के चाचा का उनके इस शानदार सफर में सबसे बड़ा योगदान रहा। उनके चाचा ने रेणुका सिंह ठाकुर के हुनर को पहचाना था। इसके बाद परिवार मनाकर रेणुका को हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन महिला अकादमी ज्वाइन करवाई। तब के बाद रेणुका ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। रेणुका बताती है कि उनके पिता का सपना था कि वह एक अच्छी क्रिकेटर बने। हालांकि आज उनके पिता तो इस दुनिया में नहीं है लेकिन उन्होंने अपने दिवंगत पिता के सपने को न केवल साकार किया है बल्कि भारतीय टीम का गौरव बनकर उभरी है।