शिमला, 27 जुलाई : सोचिए, सफर करने के दौरान आपकी बस हादसे का शिकार हो जाए तो मानसिक स्थिति क्या होगी। कांगड़ा के पालमपुर उपमंडल के रहने वाले एक युवक सुधीर ने न केवल हौसला रखा, बल्कि बस से खुद को सुरक्षित निकालने के बाद हादसे की वजह का भी खुलासा किया।
दरअसल, हादसे के बाद से निगम के चालकों की निपुणता के पर भी सोशल मीडिया में सवाल उठाए गए, लेकिन हकीकत इसके विपरीत सामने आई है।
बस में सफर कर रहे युवक सुधीर ने खुलासा किया है कि हादसे की जगह सड़क तंग थी। विपरीत दिशा से आ रहे ट्रक ने बस के पिछले हिस्से को टक्कर मार दी। इसके बाद बस असंतुलित होकर पैराफिट तोड़ती हुई खाई में लुढ़क गई। गिरने से पहले बस में तीन पलटियां भी खाई। वह भी काफी समय तक बस के भीतर ही फंसा रहा।
हालांकि मौके पर तुरंत ही आसपास के लोगों ने रेस्क्यू शुरू कर दिया था, लेकिन 2 यात्री घंटों तक फंसे रहे। सुधीर ने इस बात का भी खुलासा किया कि यह बस सुबह 6:00 बजे के करीब नगरोटा बगवां से शिमला के लिए रवाना हुई थी। उसे इसी बस में शाम को 3:00 बजे वापस भी लौटना था। सुधीर ने कहा कि घटनास्थल पर मोड़ था। सामने से आ रहे ट्रक ने बस को टच करते हुए पिछले हिस्से को टक्कर मारी।
बता दें कि सुधीर भी इस बस में करीब 3 घंटे तक फंसे रहे थे। हिम्मत और हौसले के दम पर खुद को बस से निकालने में कामयाब रहे। अमूमन हादसों में घायलों की मौत सदमे की वजह से हो जाती है, लेकिन हिम्मत न छोड़ने वाले जिंदगी व मौत के बीच जंग को जीत लेते हैं। उसने बताया कि घर पर हादसे की सूचना मिलने के बाद दादी व मां का रो-रो कर बुरा हाल था। फोन पर बात करने से ही उन्हें संतोष मिला।
बहरहाल, इस हादसे के बाद बड़ा सवाल भी उठा है कि रोजाना मॉकड्रिल करने वाली टीमें कहां थी। जबकि हादसा भी सूबे की राजधानी से चंद किलोमीटर के फासले पर हुआ था। कुल मिलाकर यह भी साफ है कि सरकारी व्यवस्था ऐसे हादसों में विफल होती ही नजर आती है।
पहले भी इस बात पर सवाल उठते रहे हैं कि जब पहाड़ी प्रदेश में हादसे लगातार होते हैं तो एयर एंबुलेंस की व्यवस्था सरकार क्यों नहीं कर पाती।