नाहन, 26 जुलाई : सिरमौर की ट्रेजरी (Treasury) में एक करोड़ 69 लाख रुपए का कथित घोटाला सामने आया है। इस घोटाले को दिसंबर 2012 से 2018 तक जिला ट्रेजरी अधिकारी के पद पर तैनात रहे सतीश कुमार द्वारा अंजाम दिया गया। मंगलवार को पुलिस ने इस मामले में हिपा में उपनिदेशक के पद पर तैनात अधिकारी के खिलाफ आईपीसी की धारा 409, 420 के तहत आपराधिक मामला दर्ज कर दिया है।
मामला दर्ज होने के बाद यह घोटाला उजागर हुआ है। सिरमौर के मौजूदा जिला कोषाधिकारी (District Treasury Officer) की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया है। संभावना जताई जा रही है कि इस मामले में गिरफ्तारियां भी की जा सकती हैं। जानकारी के मुताबिक विभाग ने पहले अपने स्तर पर आंतरिक जांच अमल में लाई, इसमें तस्दीक होने के बाद ही मामला दर्ज करवाया गया है।
शिकायत में कहा गया है कि घोटाले को पीपीओ नंबर (PPO Number) के जरिए अंजाम दिया गया। देखना यह भी होगा कि कहीं पेंशनर के असल वित्तीय लाभों का भी गोलमाल तो नहीं हुआ है। एसपी ओमापति जम्वाल ने मामला दर्ज होने की पुष्टि की है। एसपी ने कहा कि विभाग के आंतरिक जांच के आधार पर तफ्तीश की जा रही है। उन्होंने मामले में गिरफ्तारियों की संभावनाओं से भी इनकार नहीं किया।
यह था तरीका
आंशिक तौर पर सामने आई जानकारी के मुताबिक घोटाले को अंजाम देने के लिए पेंशनर्स के खातों का इस्तेमाल किया जाता था। पहले पेंशनर्स के फर्जी तरीके से वित्तीय लाभ तैयार किए जाते थे, इसके बाद राशि उपलब्ध होने के उपरांत इसे अपने निजी खातों मेंट्रांसफर कर दिया जाता था।
एक आशंका यह भी जाहिर की जा रही है कि पेंशनर के वित्तीय लाभों को भी डकार लिया जाता होगा। जानकारों का कहना है कि ई-सॉफ्टवेयर में हेरा-फेरी से राशि को ट्रांसफर कर लिया जाता था। इसके इस्तेमाल की काफी शक्तियां जिला कोषाधिकारी के पास होती हैं।
एक आशंका यह भी है कि अधिकारी द्वारा अंजाम दिए गए इस कथित घोटाले में जिला कोषागार के अन्य कर्मचारियों की भी मिलीभगत हो सकती है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि हेरा फेरी से कमाई गई राशि को अधिकारी द्वारा अपनी पत्नी के खाते के अलावा बेटे व बेटी के खातों में भी ट्रांसफर कर दिया जाता था। यह भी बताया जा रहा है कि पत्नी के खातों की भी आंतरिक जांच की गई। बताया यह भी जा रहा है कि अधिकारी मूलतः सोलन के रहने वाले हैं, जबकि ससुराल सिरमौर के सराहां में है।