नाहन, 17 जुलाई : सहारा योजना का लाभ प्रदेश के हजारों पीड़ित उठा रहे हैं। कल्याणकारी राज्य की परिभाषा को साकार करती हिमाचल प्रदेश सरकार लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए कृतसंकल्प है।
सरकार द्वारा चलाई जा रही सहारा योजना स्वास्थ्य सुरक्षा के क्षेत्र में एक ऐसी अनूठी पहल है, जिसके तहत प्रदेश में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के ऐसे लोग जो 8 घातक रोगों से ग्रस्त हैं। जिसमें कैंसर, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, थैलेसिमिया गुर्दे की बीमारी शामिल हैं। उनके इलाज तथा देखभाल के लिए आर्थिक सहायता के तौर पर 3 हजार रुपये की राशि प्रतिमाह सीधे लाभार्थी के खाते में जमा की जा रही है।
अमृत सिंह निवासी गोविन्दगढ़ मोहल्ला नाहन बताते हैं की वह 56 साल के हैं और उनको 2 वर्ष पहले अधरंग हो गया था। उनका इलाज नाहन के अस्पताल से चल रहा है। वह अब अपनी बिमारी में बहुत सुधार महसुस कर रहे हैं। सरकार द्वारा उन्हें सहारा योजना के अंतर्गत 3 हजार रुपये प्रतिमाह प्रदान किये जा रहे हैं, जिससे उनकी दवाइयां तथा खाने पीने का व्यय भली भांति चल रहा है।
सहारा योजना के एक अन्य लाभार्थी 70 वर्षीय आफताब अहमद निवासी गुन्नुघाट नाहन की पत्नी आबिदा बेगम ने बताया कि उनके पति किडनी की समस्या से जूझ रही हैं। उनका डायलिसिस डॉ. यशवंत सिंह परमार राजकीय मेडिकल एवं अस्पताल नाहन में प्रति माह होता है। उन्हें सहारा योजना के तहत 3000 रुपये की राशि मिल रही है, जिससे उनकी दवाई का और घर का खर्चा चलाने में भी सहयोग मिल रहा है। इस योजना के तहत मिलने वाली राशि के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व सरकार का धन्यवाद व्यक्त किया।
विद्या सागर निवासी वार्ड न० 11 नाहन बताते हैं की उन्हें 2014 से खून से सम्बन्धित गंभीर बिमारी हो गई थी जिसके लिए उन्होंने चण्डीगढ़ में अपना उपचार आरम्भं करवाया। कुछ वर्षों के बाद उन्हें मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय नाहन से पता चला की हिमाचल सरकार गम्भीर बिमारियों से ग्रस्त मरीजों को सहारा योजना के तहत आर्थिक सहायता प्रदान करती है, जिसके लिए उन्होंने भी आवेदन किया और लाभ प्राप्त किया।
उन्होंने बताया की शुरू में उन्हें सहारा योजना के तहत प्रतिमाह 2 हजार रुपये मिलते थे। सरकार द्वारा अब यह राशि 2 हजार से बढ़ाकर 3 हजार रुपये कर दी गई है। हिमाचत सरकार तथा मुख्यमंत्री जय ठाकुर का धन्यवाद करते हुए विद्या सागर कहते हैं की सरकार द्वारा यह एक बहुत ही बढ़िया योजना है, ताकि मरीज अपनी दवाईयों तथा खाने पीने का ध्यान रख सकें।