शिमला, 12 जुलाई : जून माह में होने वाले नगर निगम शिमला (Municipal Corporation Shimla) के चुनावों को लेकर एक बार फिर पेंच फंस गया है। शिमला नगर निगम में वार्डों के डिलिमिटेशन और आरक्षण रोस्टर (reservation roster) को लेकर हाईकोर्ट ने डीसी शिमला व मंडला आयुक्त से जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट (Shimla Highcourt) के फैसले को दरकिनार करते हुए नगर निगम शिमला के चुनाव के लिए मतदाता सूची बनाने का कार्यक्रम जारी कर दिया गया। याचिकाकर्ता इसको लेकर फिर कोर्ट पहुंचे।
कोर्ट ने मंगलवार को मतदाता सूची बनाने की प्रक्रिया में रोक लगा दी है और 16 अगस्त को मामले की सुनवाई रखी गई है। राज्य सरकार और जिला प्रशासन के लिए इसे बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। दो वार्डो समरहिल नाभा वार्ड को लेकर मामला हाईकोर्ट में गया था। इससे पांच वार्डों नाभा, समरहिल, बालूगंज, टूटीकंडी और फागली में डिलिमिटेशन का असर पड़ा है।
हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया राजनीतिक दबाव में आकर हाईकोर्ट के आदेश को दरकिनार कर मतदाता सूची बनाने की प्रक्रिया जारी करना दुर्भाग्यपूर्ण है। कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने को लेकर डीसी शिमला व मंडला आयुक्त को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए। क्योंकि कोर्ट के आदेशों के बावजूद
डिलिमिटेशन व रोस्टर में बिना बदलाव किए मतदाता सूचियों की प्रक्रिया शुरू कर देना कोर्ट के आदेशों की अवहेलना है। शिमला नगर निगम वार्डों का डिलिमिटेशन कर संख्या 34 वार्डों से बढ़ाकर 41 वार्ड कर दी गई है। मई माह में पुनर्सीमांकन के खिलाफ दो याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 3 जून को नगर निगम शिमला के तहत पड़ने वाले नाभा और समरहिल वार्ड के पुनर्सीमांकन (delimitation) को लेकर उपायुक्त की ओर से जारी आदेश को रद्द कर दिया था।
नगर निगम शिमला के लिए वार्डबंदी में बदलाव करने के मामले पर प्रशासन को हाईकोर्ट ने गलत ठहराया था। कोर्ट ने नाभा व समरहिल दो वार्डो का दोबारा से डिलिमिटेशन करने के आदेश दिए थे। लेकिन कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर मतदाता सूचियों की प्रक्रिया जारी कर दी गई। जिसको लेकर अब जबाब तलब किया गया है। शिमला MC के मौजूदा पार्षदों का 5 साल का कार्यकाल 18 जून को पूरा हो चुका है। नगर निगम का जिम्मा अब नियुक्त एडमिनिस्ट्रेटर के पास है।