हमीरपुर, 07 जुलाई : हमीरपुर जनपद प्रदेश के उन जिलों में शुमार है, जहां पर दावा किया जाता है कि हर गांव तक सड़क मुहैया करवाई गई है। लेकिन दावों और हकीकत में जमीन-आसमान का फर्क है। आज भी हमीरपुर के कई ऐसे गांव हैं, जहां सड़क कोसों दूर है। खड्ड किनारे बसा बरला गांव उपमंडल बड़सर के तहत आता है। यहां हालात ऐसे हैं कि अगर कोई व्यक्ति बीमार हो जाए तो उसे अस्पताल पहुंचाने के लिए भी चारपाई का सहारा लेना पड़ता है।
ऐसा ही मामला बुधवार को सामने आया। इस मामले ने हर गांव तक सड़क पहुंचाने के दावों की पोल खोल दी है। वरला गांव में बुधवार को एक महिला को अचानक अधरंग बीमारी का अटैक आया और उसे तुरंत अस्पताल पंहुचाने की जरूरत पड़ी। लेकिन सड़क सुविधा न होने के कारण पैदल रास्ते बरसात से खराब होने के चलते मरीज को सड़क तक पहुंचाना मुश्किल हो गया।
खड्ड के रास्ते ट्रेक्टर लाया गया, जो अधिक दूरी होने के चलते एक डेढ़ घंटे बाद बड़ी मुश्किल से खड्ड के रास्ते घर तक पंहुच पाया। ग्रामीणों ने इसी ट्रेक्टर कों एंबुलेंस बनाकर मरीज को ट्रेक्टर के माध्यम से मुख्य सड़क तक पंहुचाया, फिर उसे अस्पताल तक ले जाया गया। इस गांव में सड़क के लिए लोग दशकों से मांग कर रहे है, लेकिन किसी भी सरकार व स्थानीय नेता ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया।
ग्रामीणों ने स्थानीय नेताओं पर इस गांव से सौतेला व्यवहार के आरोप लगाते हुए कहा है कि बड़सर विधानसभा क्षेत्र का पिछले चार दशकों से कई नेताओं ने नेतृत्व किया लेकिन किसी भी नेता ने वरला गांव की समस्याओं को प्राथमिकता नहीं दी। उन्होंने कहा कि वरला गांव हर बार राजनीतिक द्वेष का शिकार होता रहा है। जिसका खामियाजा आमजन मानस को भुगतना पड़ रहा है। जिसके चलते ग्रामीणों ने भारी रोष व्यक्त करते हुए इस बार विधानसभा चुनावों के बहिष्कार करने का भी मन बना लिया है।