शिमला, 01 जुलाई : हिमाचल प्रदेश के टांडा मेडिकल कॉलेज (Tanda Medical College) एवं अस्पताल में एक ब्रेन डैड 75 वर्षीय बुजुर्ग महिला की दो किडनी और दो कॉर्निया दान से चार लोगों को नई जिंदगी मिली है। टांडा मेडिकल कॉलेज में इसी साल लगातार दूसरी बार ब्रेन डैड मरीज के शरीर से अंग निकाले गए हैं, जो कि पीजीआई चंडीगढ़ में प्रत्यारोपित किए गए।
पहली बार ऑर्गन को फ्लाइट के माध्यम से गंतव्य तक पहुंचाया गया। पिछली बार की तरह इस बार भी रीनल ट्रांसप्लांट सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. राकेश चौहान घटना के सूत्रधार बने। उनके अथक प्रयासों व लगन के कारण किडनी फेलियर के मरीज को नई जिंदगी मिली है। उन्होंने बताया कि सीढ़ियों से गिरने के कारण इस महिला के सिर में गहरी चोट लगी थी। इसके बाद इसे टांडा मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया।
महिला पिछले 10-12 दिन से अस्पताल में दाखिल थी। इलाज के दौरान हालत में सुधार नहीं हुआ तो महिला ब्रेन डैड की स्थिति में पहुंच गई। अस्पताल की ब्रेन डैड सर्टिफिकेशन कमेटी (brain dead certification committee) ने विभिन्न टेस्ट करवाने के बाद महिला के ब्रेन डैड होने की पुष्टि की। महिला के परिजनों को अंगदान के बारे में बताया गया। पारिवारिक सदस्यों ने दरियादिली दिखाते हुए अपने मरीज के अंगदान करने के लिए हामी भरी।
वीरवार देर रात को क्रॉस मैचिंग के लिए ब्लड सैंपल कांगड़ा बस स्टैंड से बस के माध्यम से पीजीआई भेजे गए। पीजीआई में किडनी फेलियर के दो मरीजों के साथ सैंपल मैच हुए। क्रॉस मैचिंग होने के बाद शुक्रवार सुबह 5ः00 बजे से डॉ. राकेश चौहान की अध्यक्षता में किडनी व कॉर्निया रिट्रीवल ऑपरेशन शुरू हुआ। ऑपरेशन करीब 8ः00 बजे तक चला और सफलतापूर्वक दो किडनी और दो कॉर्निया निकाले गए।
सावधानीपूर्वक दोनों किडनीयों को अस्पताल से ग्रीन कॉरिडोर (green corridor) के माध्यम से गग्गल एयरपोर्ट तक पहुंचाया गया। सुबह करीब 10ः30 बजे फ्लाइट टेक ऑफ हुई और दोपहर करीब 12 बजे किडनी को पीजीआई पहुंचाया गया। चंडीगढ़ एयरपोर्ट से ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से कुछ ही समय में किडनी से भरे कंटेनर्स को वाहन के जरिए पीजीआई पहुंचाया गया।
पीजीआई में दो मरीजों के शरीर में महिला की यह दोनों किडनी ट्रांसप्लांट की जा रही हैं। वहीं आगामी दिनों में दो कॉर्निया टांडा मेडिकल कॉलेज में जरूरतमंद मरीज को ट्रांसप्लांट कर दी जाएंगी। डॉ. राकेश चौहान का कहना है कि पीजीआई के रीनल ट्रांसप्लांट सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. आशीष शर्मा के सहयोग से दूसरी बार टांडा मेडिकल कॉलेज में सफल कैडेवरिक ऑर्गन रिट्रीवल हुआ है।
डॉ. राकेश ने बताया कि परिजनों की सहमति के बिना अंगदान का यह महान दान संभव न हो पाता। परिजनों ने समाज के लिए मिसाल कायम करते हुए एक उदाहरण पेश किया है। उन्होंने बताया कि देशभर में लाखों मरीज अंग न मिलने के कारण मौत के मुंह में चले जाते हैं लेकिन इस महिला के जैसे महादानी ऐसे मरीजों के लिए वरदान साबित होते हैं।
उन्होंने कहा कि स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन हिमाचल प्रदेश (State Organ and Tissue Transplant Organization Himachal Pradesh) हिमाचल ने भी प्रक्रिया को पूरा करने में पूरा सहयोग दिया। ऑर्गन रिट्रीवल में पीजीआई (PGI) से आए डॉ. दीपेश कंवर और डॉ. साहिल रेले ने सहयोग दिया।
बता दें कि टांडा मेडिकल कॉलेज में इसी साल मार्च महीने में 18 साल के ब्रेन डैड युवक ने अपनी किडनी और कॉर्निया दान की थी। यह ऑर्गन रिट्रीवल भी रीनल ट्रांसप्लांट सर्जरी विभाग की ओर से हुआ था। इसमें पीजीआई की टीम ने भी सहयोग दिया था।