नई दिल्ली, 01 जुलाई : रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर (autonomous flying wing technology demonstrator) की पहली उड़ान का शुक्रवार को वैमानिकी परीक्षण (aeronautical test) रेंज, चित्रदुर्ग, कर्नाटक से सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। पूरी तरह स्वायत्त मोड में संचालन करते हुए इस विमान ने एक आदर्श उड़ान का प्रदर्शन किया, जिसमें टेक-ऑफ, वे पॉइंट नेविगेशन और एक आसान टचडाउन शामिल रहे।
यह उड़ान भविष्य के मानव रहित विमानों के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को साबित करने के मामले में एक प्रमुख उपलब्धि है और यह सामरिक रक्षा प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। इस मानव रहित वायुयान को वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (एडीई), बेंगलुरु द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है, जो डीआरडीओ की एक प्रमुख अनुसंधान प्रयोगशाला है।
यह एक छोटे टर्बोफैन इंजन द्वारा संचालित होता है। विमान के लिए उपयोग किए जाने वाले एयरफ्रेम, अंडर कैरिज और संपूर्ण उड़ान नियंत्रण और एवियोनिक्स सिस्टम स्वदेशी रूप से विकसित किए गए हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ को बधाई देते हुए कहा कि यह स्वायत्त विमानों की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है, और इससे महत्वपूर्ण सैन्य प्रणालियों के रूप में ‘आत्मनिर्भर भारत’ का मार्ग भी प्रशस्त होगा।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग (Defense Research and Development Department) के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने इस प्रणाली के डिजाइन, विकास और परीक्षण से जुड़ी टीमों के प्रयासों की सराहना की।