शिमला, 20 जून : चंद रोज पहले नाहन शहर में निजी स्कूल की बस में 13 साल की छात्रा से कथित छेड़छाड़ का मामला सामने आया था। इसके बाद राज्य सरकार द्वारा स्कूली बसों में छात्रों की सुरक्षा के मद्देनजर 12 अक्तूबर 2018 को जारी अधिसूचना की तरफ भी ध्यान आकर्षित हुआ है।
विस्तृत अधिसूचना में स्कूली बसों को लेकर नियमों की लंबी फेहरिस्त है। नाहन की घटना के बाद सवाल इस बात पर उठा है कि क्या इस अधिसूचना को लेकर परिवहन विभाग व पुलिस द्वारा प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं या नहीं। हिमाचल प्रदेश मोटर यान प्रारूप के प्रथम संशोधन को अधिसूचित किया गया हैै।
ये हैं स्कूल बसों की सुरक्षा को लेकर नियम…
स्कूल बसों पर पीला पेंट होगा। इसके सामने व पीछे 400 एमएम X 300 एमएम के आकार में स्कूल बस लिखना अनिवार्य है। स्कूल बस में प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स व पीने का पानी उपलब्ध होना चाहिए। बस के भीतर चालक के ब्यौरे में नाम, फोटो, फोन नंबर प्रदर्शित होना चाहिए।
स्कूल का नाम, मालिक का नाम, चालक सहायता नंबर 1098 व आपातकालीन नंबर प्रदर्शित करना भी अनिवार्य रखा गया है। ये सूचना बस के तमाम यात्रियों व लोगों को स्पष्ट रूप से दिखाई देनी चाहिए, ताकि आवश्यकता पड़ने पर अधिकारियों को सूचित किया जा सके।
यदि छात्रों की आयु 12 साल से कम है तो बस में छात्रों की संख्या विहित क्षमता से डेढ़ गुणा से अधिक नहीं होगी। 12 साल की आयु से उपर के छात्र को एक व्यक्ति माना जाए। स्कूल बस में पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए। शीशे पर पर्दा या फिल्म नहीं चढ़ी होनी चाहिए, ताकि आंतरिक गतिविधियों को बाहर से देखा जा सके।
किसी भी परिस्थिति में किसी भी अनाधिकृत व्यक्ति को बैठने की अनुमति न दी जाए। इसके अलावा स्कूल बस में सिलेंडर, मिट्टी का तेल, तेजाब, शराब आदि रखना अनुज्ञात है।
स्कूल बस बच्चों को चढ़ाने व उतारने के समय सही तरीके से खड़ी रहनी चाहिए। बस में बैठे यात्रियों का मोटर व्हीकल अधिनियम 1988 के अंतर्गत विधि मान्य बीमा हो। नियमित अवधि में स्कूल बस की मरम्मत के बाद निरीक्षण अनिवार्य हैै। हरेक स्कूल बस के रूट व ठहराव स्थल का क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकारी या स्कूल प्रबंधन द्वारा अनुमोदित होना चाहिए। इसकी सूचना परिवहन विभाग या स्थानीय प्रशासन को होनी चाहिए।
स्कूल की परिवहन सेवाएं प्रदान करने वाले वाहन 15 वर्ष से पुराने नहीं होंगे। हरेक स्कूल बस में जीपीएस की व्यवस्था अनिवार्य है। स्कूल प्रबंधन को ये सुनिश्चित करना होगा कि जीपीएस प्रणाली हर समय सुचारू रूप से कार्य कर रही है।
चालक की आयु 60 वर्ष से अधिक न हो। चालक की आंखों के प्रशिक्षण सहित शारीरिक अयोग्यता की जांच हर साल होनी चाहिए। स्कूल प्रबंधन चालक को स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध करवाएगा। सक्षम अधिकारी द्वारा अरोगता प्रमाणपत्र जारी किया जा सकता है। स्कूल बस चलाते समय चालक द्वारा मोबाइल फोन के उपयोग पर प्रतिबंध है।
स्कूल प्रबंधन को बसों में स्पीड गवर्नर सुनिश्चित करना होगा। इसकी अधिकतम गति 40 किलोमीटर प्रति घंटा होनी चाहिए। दिव्यांग छात्रों की सुविधा के लिए बसों में नियमानुसार आवश्यक और समुचित व्यवस्था अनिवार्य होगी। बस में पांच किलोग्राम क्षमता के दो अग्निशमन यंत्र होने चाहिए, जो आईएसआई के मानकों को पूरा करें। इनमें से एक चालक के कैबिन में होना चाहिए, दूसरा आपात निकास द्वार के निकट रखा हो।
इसके इस्तेमाल के लिए चालक के अलावा महिला गार्ड/परिचर प्रशिक्षित होने चाहिए। स्कूल प्रबंधन ये सुनिश्चित करेगा कि ये यंत्र हर समय फंक्शनल हों। हरेक बस में सीसी कैमरा प्रतिष्ठापित करना अनिवार्य हैै। इसके अभिलेख की जांच नियमित होनी चाहिए।
बस चालक को कम से कम 5 वर्ष का अनुभव होना चाहिए। परिचालक की तैनाती अनिवार्य है। स्कूल प्रबंधन हरेक बस में कम से कम एक प्रशिक्षित महिला गार्ड की व्यवस्था करे। बस में यात्रा करने वाले छात्रों की देखभाल गार्ड करेगी। स्कूल बैग को सुरक्षित रखने हेतु सीट के नीचे या बस में सुविधाजनक स्थान की उपलब्धता होनी चाहिए।
अभिभावकों द्वारा बस में चालक व अन्य कर्मचारियों के व्यवहार पर निगरानी रखी जा सकती है। स्कूल बसों में अलार्म तथा सायरन की व्यवस्था हो। बस चालक व परिचालक ग्रे रंग की वर्दी व काले रंग के जूते पहने होने चाहिए। स्कूल बस के परिचालक के पास सदैव यात्रा कर रहे विद्यार्थियों के नाम, कक्षा, आवासीय पता, दूरभाष संपर्क नंबर, ब्लड ग्रुप, बस ठहराव का नाम व रूट प्लान आदि सूचना होनी चाहिए।
बस चालकों के व्यवहार में कुशलता लाने के लिए हरेक साल प्रशिक्षण पाठ्यक्रम अनिवार्य है। इस प्रकार के पाठ्यक्रम परिवहन विभाग द्वारा भी आयोजित किए जाते हैं। स्कूल प्रबंधन को स्कूल बस में एक मोबाइल फोन उपलब्ध करवाना अनिवार्य है, ताकि आपात स्थिति में स्कूल बस से संपर्क किया जा सके।
स्कूलों द्वारा पट्टे पर ली गई बसों की संविदा स्कूल के साथ होगी। ऐसी बसों के चालकों का नाम व अन्य विवरण निकट के पुलिस थानों व यातायात पुलिस के पास होना चाहिए। पट्टे पर ली गई बसों में भी सीसी कैमरे व अन्य नियम लागू होंगे।
स्कूल बस के चालक के पास भारी वाहन चलाने का पांच साल का तजुर्बा होना चाहिए। पट्टे पर ली गई बसों के चालकों को नीले रंग की वर्दी व काले रंग के जूते पहनना अनिवार्य होगा। पांच साल से कम आयु के बच्चों को बस के सामने वाली सीट पर बैठने की अनुमति नहीं है।