सोलन, 20 जून : हिमाचल प्रदेश के प्रवेश द्वार परवाणु के टिंबर ट्रेल रिजाॅर्ट के रोपवे में 11 अनमोल जीवन करीब 7 घंटे तक लटके रहे। भूखे-प्यासे ही पर्यटकों की सासें अटकी हुई थी। हालांकि, शाम 5 बजे तक तमाम पर्यटकों को एनडीआरएफ की नालागढ़ से पहुंची टीम ने रेस्क्यू करने में सफलता हासिल कर ली, लेकिन प्रबंधन की कार्यकुशलता को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।
ये भी जानकारी आ रही है कि ट्राॅली में फंसे दिल्ली के पर्यटक ने घटना की जानकारी सीधे ही देश के गृह मंत्री अमित शाह को दे दी। लेकिन आधिकारिक तौर पर सरकार ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने केंद्रीय गृह मंत्री को फोन कर तुरंत ही एनडीआरएफ टीम उपलब्ध करवाने का आग्रह किया।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व सांसद सुरेश कश्यप ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि हमीरपुर में खराब मौसम होने के बावजूद मुख्यमंत्री ने घटनास्थल तक पहुंचने के लिए उड़ान भरी। ये जाहिर करता है कि अमूल्य मानव जीवन की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार कितनी गंभीर है।
शाम 6 बजे तक भी मुख्यमंत्री टीटीआर परवाणु में मौजूद थे। रेस्क्यू किए गए पर्यटकों की मानें तो सुबह 10ः15 बजे होटल मोक्षा से चैकआउट करने के बाद ट्राॅली में बैठे थे।
कुछ ही मिनटों बाद ये ट्राॅली अचानक ही रोपवे के बीच में रुक गई। ऐसे में सवाल उठता है कि जब ये हादसा 10ः30 बजे के आसपास हुआ तो प्रबंधन ने समय रहते ही प्रशासन व पुलिस को क्यों सूचना नहीं दी। बताया जा रहा है कि एनडीआरएफ की टीम को दोपहर 2 बजे के आसपास सूचना मिली।
मौके पर पहुंची टीम ने दो से तीन घंटे के भीतर ही तमाम पर्यटकों को सफलतापूर्वक रेस्क्यू कर लिया। हैरान कर देने वाली बात ये है कि पर्यटकों को ट्राॅली से लगभग 200 फुट नीचे रस्सी के जरिए उतारा गया। वहां से पर्यटकों को पैदल ही जंगल के रास्ते परवाणु हाईवे तक पहुंचना पड़ा।
बता दें कि 11 पर्यटकों में से 4 बुजुर्ग थे, इनमें से कुछ हार्ट पैशेंट भी थे। लेकिन ये एनडीआरएफ का ही साहस था कि उन्हें रस्सी के जरिए नीचे उतार लिया गया।
गौरतलब है कि एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने चंद सप्ताह पहले ही टीटीआर परवाणु में 1992 के हादसे के समाचार को प्रकाशित किया था। इस पर भी अगर लेशमात्र संज्ञान लिया गया होता तो आज की स्थिति पैदा नहीं होती।
5 घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन, मौके पर पहुंचे CM जयराम
उधर, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि चूक कहां थी, इसकी जांच की जाएगी। लेकिन संतोष इस बात का है कि तमाम 11 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया है। सीएम ने कहा कि वो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का भी आभार प्रकट करते हैं, जिन्होंने तुरंत एनडीआरएफ टीम को उपलब्ध करवा दिया। सीएम ने कहा कि बहुमूल्य मानवीय जीवन की सुरक्षा के लिए सदैव तत्पर हैं।
सीएम ने कहा कि एयरफोर्स की टीम को भी स्टैंड बाय पर ले लिया गया था। उन्होंने कहा कि टीटीआर परवाणु में पहला रोपवे है। दूसरी बार इस तरह की घटना चिंता का विषय है। सीएम ने कहा कि जांच के आदेश दिए गए हैं।
दिल्ली के आनंद विहार के रहने वाले गोपाल गुप्ता ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि वो इंजाॅय करने आए थे, लेकिन ट्राॅली में फंसकर खूब इंजाॅय हुआ। उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि अगर ट्राॅली में फंसे तमाम लोग खुद हिम्मत न करते तो कुछ भी हो सकता था। उन्होंने कहा कि प्रशासन से पूरा सहयोग मिला, लेकिन होटल प्रबंधन ने आते हैं-आते हैं, कहकर कई घंटे लगा दिए।
ये भी हैं जुड़ी बातें….
दिल्ली के पर्यटकों ने दोपहर 12 बजे के बाद टिंबर ट्रेल की ट्राॅली में फंसे होने की जानकारी वीडियो बनाकर दी। इसमें कहा गया कि घबराहट के कारण तबीयत बिगड़ रही है। एक महिला ने घुटने में दर्द व हार्ट पेशेंट होने की बात भी वीडियो में कही थी।
गनीमत इस बात की थी कि जिस जगह पर ट्राॅली अटकी थी, वहां की उंचाई जमीन से लगभग 200 फीट थी। इस कारण भी पर्यटकों को रस्सी के सहारे नीचे उतारना आसान साबित हुआ। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान शिमला-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे पर दोनों तरफ लंबा जाम लग गया। गौरतलब है कि इस रोपवे की दूरी 800 मीटर के आसपास है।