नाहन, 19 जून : हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के 12वीं के नतीजे में अरिहंत इंटरनेशनल स्कूल की ईशिता ने 483 अंक प्राप्त कर मेरिट सूची में दसवां स्थान अर्जित किया है।
दरअसल,शिमला जनपद के चौपाल उपमंडल के नेरवा में दसवीं की पढ़ाई के दौरान वो महज 2 अंकों की कमी के कारण मेरिट सूची से चूक गई थी, तब से ही मन में दृढ़ संकल्प कर लिया था कि वो 12वीं की परीक्षा में विज्ञान संकाय मेरिट सूची में जगह बनाएगी। इस संकल्प को ईशिता ने सार्थक कर दिखाया है। नेरवा की रहने वाली ईशिता ने +1 में नाहन के अरिहंत इंटरनेशनल स्कूल में दाखिला लिया था। गौरतलब है कि दसवीं की परीक्षा में ईशिता को 12वां रैंक हासिल हुआ था, लेकिन टॉप टेन में नहीं आ पाई थी।

बेटी की कामयाबी को देखने के लिए पिता अनंत राम दुनिया में नहीं है, उनका निधन 2018 में हो गया था। मां सत्या देवी बेटी को उड़ान भरते देख बेहद ही खुश है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से स्कूल परिसर में बातचीत करते हुए ईशिता ने कहा कि जीवन में डॉक्टर बनने का लक्ष्य रखा है। इशिता का कहना था कि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी मेडिकल सुविधाओं की बेहद कमी है। मेधावी बेटी ईशिता से जब यह सवाल किया गया कि इस बार की मेरिट सूची में लड़कियों ने जबरदस्त तरीके से डंका बजाया है तो उसका कहना था कि लड़कों की तुलना में लड़कियां अधिक मेहनत करती हैं। घर के कामकाज के अलावा पढ़ाई पर केंद्रित रहती हैं। एमबीबीएस की पढ़ाई करने के बाद इशिता यूपीएससी का विकल्प भी चुन सकती है,मगर इस सवाल पर इशिता ने कहा कि वह केवल डॉक्टर से बनना चाहती है।
उधर, स्कूल में ईशिता के सफलता पर खुशी की लहर है। प्रधानाचार्य राजेश सोलंकी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि स्कूल द्वारा मेधावी छात्रों को हर सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रबंधन को पूरी उम्मीद है कि ईशिता नीट की परीक्षा में भी बेहतरीन परिणाम लाएगी।
माता पद्मावती एजुकेशनल सोसायटी के सचिव सचिन जैन ने कहा कि स्कूल का यह प्रयास है कि मेधावी बच्चों को हर सुविधा मिले। उन्होंने कहा कि कई बार ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक कमी के कारण मेधावी बच्चे आगे नहीं पढते हैं। उनका कहना था कि कठिन परिश्रम ही सफलता का मूल मंत्र होता है।