नाहन, 16 जून: सिरमौर के दलित शोषण मुक्ति मंच (DSMM) के प्रतिनिधिमंडल ने वीरवार को केंद्रीय सामाजिक न्याय अधिकारिता राज्य मंत्री (Union Minister of State for Social Justice Empowerment) रामनाथ अठावले डिप्टी डायरेक्टर ऑफ जनरल ऑफ़ इंडिया (Deputy Director General of India) मनोज कुमार से मुलाकात की। प्रतिनिधि मंडल ने दिल्ली में मुलाकात के दौरान “हाटी” जनजातीय क्षेत्र घोषित होने से क्षेत्र में रहने वाले 40% अनुसूचित जाति वर्ग पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों से अवगत करवाया।
दलित शोषण मुक्ति मंच सिरमौर के संयोजक आशीष कुमार, राजू राम एवं लायक राम ने 2017 की रजिस्ट्रार जर्नल ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट (Registrar Journal of IndiaReport) को पेश कर मंत्री को अवगत करवाया कि RGI ने अपनी रिपोर्ट में यह स्पष्ट कहा था कि “हाटी” कोई जनजाति नहीं है। इसे संविधान के अधिनियम 342 (2) के अन्तर्गत संवैधानिक दर्जा नही दिया जा सकता है। RGI ने रिपोर्ट में ये कहा था कि “हाटी” समुदाय कोई एक सामाजिक इकाई नहीं है। उन्होंने कहा कि गिरीपार क्षेत्र की अनुसूचित जातियां सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक रूप पिछड़ी है। क्योंकि परंपरागत रूप से जातियों (कोली, ढाकी, डूम,चनाल, बाढी, लोहार आदि) से छुआछूत किया जाता रहा है।
उन्होंने मंत्री को “हाटी” जनजाति घोषित करने से गिरीपार क्षेत्र में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम ,1989 के निष्क्रिय होने के खतरे के बारे में आगाह किया। इस कारण क्षेत्र में उत्पीड़न की घटनाएं और अधिक बढ़ जाने की संभावना है। उन्होंने वर्ष 2015 से 2022 तक सिरमौर मे एट्रोसिटी एक्ट (atrocity act) के मामलों की रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि अब तक सिरमौर में कुल 122 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें से हत्या व बलात्कार के जघन्य मामलों सहित कुल 106 मामले इसी गिरीपार क्षेत्र के हैं।
दलित शोषण मुक्ति मंच ने आशंका जाहिर करते हुए इस बात का खतरा जताया कि यदि गिरीपार की तमाम जातियों को “हाटी” जनजाति घोषित करके एक ही छतरी के नीचे लाया गया तो अनुसूचित जाति एवं ओबीसी वर्ग को पंचायती राज संस्थाओं में प्राप्त संवैधानिक आरक्षण समाप्त हो जाएगा। जिसका उदाहरण किन्नौर में 2020 के पंचायती राज चुनावों मे सामने आ चुका है। किन्नौर की 73 पंचायतों में प्रधान पद केवल अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।
दलित शोषण मुक्ति मंच ने केंद्र सरकार से मांग रखी कि गिरीपार की 40% अनुसूचित जाति के अधिकारों को सुरक्षा प्रदान की जाए व जल्दबाजी में जनजातीय क्षेत्र घोषित कर अनुसूचित जाति वर्ग के कत्लेआम का लाइसेंस न दिया जाए। केंद्रीय मंत्री और डिप्टी रजिस्ट्रार जनरल ने आश्वासन दिया कि इस मामले मे कोई भी अंतिम निर्णय लेने से पूर्व सभी पक्षों का ध्यान रखा जाएगा।
जनजातीय क्षेत्र घोषित होने से पहले RGI की टीम सर्वे करेगी, फिर एक सर्वे ट्राइबल मंत्रालय (Tribal Ministry) करेगा। उसके बाद उस पर मामले की गंभीरता को देखते हुए कोई फैसला लिया जाएगा। अनुसूचित जाति वर्ग के अधिकार खत्म नहीं होंगे।