सुंदरनगर,14 जून : हर वर्ष पहली आषाढ़ को मंडी जिले के बड़ा देव कमरुनाग मंदिर मे सरानाहुली मेले का आयोजन 14-15 जून को किया जाता है। जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है व श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी होने पर देवता के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।
कमरुनाग झील के किनारे पहाड़ी शैली में निर्मित कमरुनाग देवता का प्राचीन मंदिर भी है, जहां पत्थर की प्रतिमा स्थापित है। मेले के दौरान जिला के बड़ा देव कमरूनाग के प्रति आस्था का महाकुंभ उमड़ता है। निसंतान दंपतियों को संतान की चाह हो या फिर अपनों के लिए सुख-शांति और सुख-सुविधा की मनौती, हर श्रद्धालु के मन में कोई न कोई कामना रहती है, जो इसे मीलों पैदल चढ़ाई चढ़कर इस स्थल तक पहुंचा देती है।
बता दें दूर-दूर से आए लोग मनोकामना पूरी होने पर झील में करेंसी नोट, हीरे जवाहरात चढ़ाते हैं। महिलाएं अपने सोने-चांदी के जेवर झील को अर्पित कर देती हैं। देव कमरुनाग के प्रति लोगों की आस्था इतनी गहरी है कि झील में सोना-चांदी और मुद्रा अर्पित करने की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह झील आभूषणों से भरी है। झील में अपने आराध्य के नाम से भेंट चढ़ाने का भी एक शुभ समय है। मेले में आए लोगों के लिए लंगर की व्यवस्था भी सुचारू रूप से चलाई जाती है।
कमरूनाग के गुरुदेव ने बताया कि कोरोना महामारी के 2 वर्षो बाद मेले का आयोजन किया गया और इस मेले मे देव कमरुनाग के आर्शीवाद लेने के प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों के लोग भी इस मेले में आस्था की डूबकी लगाने पहुंच रहे हैं, उन्होंने देव कमरुनाग से विश्व शांति व सुख समृद्धि की कामना की।