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ऐसे न टूटे दुखों का पहाड़, किशोर अवस्था में ही तीन बच्चों की मौत…आखिरी चिराग भी बुझा

June 10, 2022 by पंकज शर्मा

रोनहाट, 10 जून : अक्सर ही हमें अपना दर्द बड़ा लगता है। यदि कुदरत (Nature) की पीड़ा को झेल रहे दूसरो के दुखों को महसूस करें तो अपना दर्द बौना लगने लगेगा। ये खबर, एक ऐसे दंपत्ति की है, जिसने महज पांच साल के भीतर ही अपने तीन बच्चों की अर्थी को किशोर अवस्था में ही कंधा दिया।

शुक्रवार को अंतिम चिराग ‘संजू’ भी किशोर अवस्था में पंचतत्व में विलीन हो गया। हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के सिरमौर (Sirmour) जनपद के दुर्गम क्षेत्र रोनहाट की अजरौली पंचायत के कंदियाड़ी गांव से ये मामला जुड़ा है। 15 वर्षीय किशोर संजू के निधन पर हर किसी की आंखें नम हैं, क्योंकि वो ही अंतिम चिराग था। उससे पहले संजू की बहन महिमा व रोहित ने भी दम तोड़ दिया था।

मात्र पांच साल के भीतर दंपत्ति ने अपने तीनों बच्चों को खो दिया है। कुदरत ने दंपत्ति को दो बेटों व एक बेटी की सौगात दी थी, लेकिन दंपत्ति को धीरे-धीरे ये पता चल गया था कि ये रिश्ता अल्प अवधि का दिया है। दरअसल, तीनों ही बच्चों के दिल में छेद था। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के बावजूद परिवार ने पीजीआई चंडीगढ़ (PGI Chandigarh) से बच्चों का इलाज चलाया हुआ था। इलाज के दौरान बड़ी बेटी महिमा की 16 वर्ष की उम्र में चार साल पहले ही मौत हो गई थी। इसके दो साल बाद छोटे बेटे रोहित ने भी बीमारी के चलते प्राण त्याग दिए।

एक बेटी व एक बेटे को खो चुके दंपत्ति का आखिरी चिराग 15 साल का बेटा संजू था, लेकिन वो भी अपने माता-पिता को बिलखता छोड़ कर दुनिया को अलविदा कह गया। शायद ही कोई इस बात को महसूस कर पाएगा कि पांच साल में तीन बच्चों की अर्थियों को कंधा देना किस कद्र कष्टकारी हो सकता है। इसकी मात्र कल्पना ही बेहद पीड़ादायक है। विकट कष्ट को झेल रहे दुलाराम के तीनों ही बच्चे खूब हृष्ट पुष्ट व सुंदर थे। पढ़ाई में भी होशियार रहे।

मौत के दौरान तीनों ही बच्चे नौंवी कक्षा में पढ़ रहे थे। दंपत्ति को केवल इस बात की उम्मीद थी कि शायद कोई चमत्कार (Miracle) हो जाएगा, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। दुलाराम व सत्या देवी के घर में अब कोई संतान नहीं बची है। पंचायत समिति अजरौली की बीडीसी सदस्य प्रियंका ठाकुर व युवा समाजसेवी अरुण जस्टा ने बताया कि दंपत्ति का इस कद्र दुख देख कर अपनी पीड़ा को भूल गए हैं। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। परिवार में पति-पत्नी के अलावा कोई नहीं बचा है। इस मामले ने ये भी उजागर कर दिया है कि मेडिकल साईंस (Medical Science) को अब भी बहुत तरक्की करनी होगी।

बता दें कि माता-पिता दिहाड़ी व मजदूरी करके बच्चों का पीजीआई में इलाज करवा रहे थे। खैर, कुदरत की माया को कोई नहीं जानता। भगवान (God) ने अल्पायु के लिए तीन-तीन बच्चों को क्यों दंपत्ति की गोद में डाला, इसका जवाब तो किसी के पास नहीं है। लेकिन ये तय है कि समूचे हिमाचल में कुछ ही ऐसे मामले होंगे, जिन्हें इस तरह की पीड़ादायक स्थिति से गुजरना पड़ रहा होगा।

Filed Under: मुख्य समाचार, सिरमौर, हिमाचल प्रदेश Tagged With: Himachal News In Hindi, Sirmour news



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