नाहन, 7 जून : मैदानी इलाकों में गर्मी की तपिश बढ़ चुकी है। हिमाचल का अधिकांश मैदानी इलाका गर्मी के प्रकोप का सामना कर रहा है। ऐसे में माता-पिता बच्चों को पानी की मस्ती करने के लिए सुरक्षित जगह ले जाना चाहते हैं।
बढ़ती डिमांड के मद्देनजर शहर के निकटवर्ती ग्रैंड व्यू रिसोर्ट (Grand View Resort) ने बच्चों को स्विमिंग पूल में उतरने की कीमत एक घंटे के लिए 400 रुपये निर्धारित की हुई है। गर्मी के चलते कथित तौर पर लूट को अंजाम दिया जा रहा है। ऐसे भी बताया जा रहा है कि स्थानीय लोगों के लिए अधिक शुल्क इस कारण भी रखा गया है क्योंकि प्रबंधन नहीं चाहता है कि स्थानीय लोग विजिट करें, क्योंकि धंधा केवल बाहर से आने वाले टूरिस्ट्स से चलना है।
सिरमौर मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर जमटा स्थित इस ग्रैंड व्यू रिसोर्ट में स्विमिंग पूल भी कोई हाई स्टैंडर्ड का नहीं है। अपितु छोटी सी जगह पर ही इसे बनाया गया है।
अहम बात यह है कि होटल प्रबंधन द्वारा ₹400 की रसीद को पेंसिल से बना कर दिया जाता है, इसे स्विमिंग पूल पर तैनात कर्मी वापस ले लेता है। इसके बाद स्विमिंग पूल के इस्तेमाल की अनुमति दी जाती है। नामी रिसोर्ट की कच्ची रसीद का मतलब ये भी निकल रहा है कि कही टैक्स की चोरी तो नहीं हो रही है।
स्थानीय कस्टमर्स को ये कहकर भी इंकार किया जाता है कि रिसोर्टमें रहने वालों के लिए ही स्विमिंग पूल के इस्तेमाल की इजाजत है, लेकिन गर्मी बढ़ने के कारण आसपास के लोग भी स्विमिंग पूल के आकर्षण के कारण रिसोर्ट में पहुंच जाते हैं। जब उन्हें यह पता चलता है कि मात्र 1 घंटे के ₹400 वसूले जाने हैं तो वह दंग भी रह जाते हैं, लेकिन कई किलोमीटर का सफर तय करने के बाद उनके सामने इनकार का भी कोई विकल्प नहीं होता। साथ ही बच्चों की जिद्द के आगे माता-पिता को घुटने टेकने ही पड़ते हैं। ग्रैंड व्यू
रिसोर्ट से लौटे एक कस्टमर ने बताया कि लूट खसूट का पूरा सिस्टम चला हुआ है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या यह स्विमिंग पूल मानकों के तहत खरा उतरता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (pollution control board) ने क्या इसकी पड़ताल की है।
स्विमिंग पूल में हाइजीन (Hygiene in the swimming pool) को मेंटेन करने के क्या उपाय किए गए हैं। इसका अंदाजा किसी को नहीं है। 400 शुल्क करने के बाद बच्चों व एडल्ट्स को मटमैला कॉस्टयूम ही दिया जाता हैं। अधिकांश कस्टमर इसके इस्तेमाल से परहेज ही करते हैं। स्विमिंग पुल की प्राइवेसी को मेंटेन करने के भी कोई इंतजाम नहीं है।
प्रश्न इस बात पर भी उठता है कि क्या स्विमिंग पूल को चलाने के लिए माकूल पानी की व्यवस्था है या नहीं या फिर इसमें कमाई के चक्कर में पानी को रोटेट किया जा रहा है।
शायद ही सरकारी एजेंसियों ने बीते कई वर्षों में इस रिसोर्ट में जाकर खाद्य गुणवत्ता सुरक्षा व अन्य मामलों को लेकर जांच की होगी। सहायक जिला पर्यटन अधिकारी (Assistant District Tourism Officer) राजीव मिश्रा ने कहा कि उचित कार्रवाई की जाएगी। मिश्रा ने कहा कि बच्चों से ₹400 का शुल्क काफी अधिक है। बता दे कि स्विमिंग पूल में 400 रुपये की एवज ऑन डिमांड केवल पानी ही पिलाया जाता है।