संगड़ाह, 02 जून : जिला के उपमंडल मुख्यालय संगड़ाह में मौजूद अस्पताल में लिफ्ट लगाने का काम शुरु हो चुका है, जो 15 जुलाई तक पूरा हो जाएगा। जानकारी के अनुसार सिविल वर्क के बाद लिफ्ट मशीन पर करीब 25 लाख खर्च होंगे और लिफ्ट सुविधा वाला यह क्षेत्र का पहला अस्पताल होगा। क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधियों ने जल्द यहां डॉक्टर्स के सभी खाली पद भरने, विशेषज्ञों की नियुक्ति, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे तथा डी जे सेट जैसी मूलभूत सुविधाओं की अपील सरकार से की है।
पीडब्ल्यूडी के एक्शन संगड़ाह व एसडीओ इलेक्ट्रिकल नाहन ने कहा कि 15 जुलाई तक लिफ्ट शुरू हो जाएगी। सीएम जयराम ठाकुर द्वारा 5 मई को हरिपुरधार से वर्चुअल लोकार्पण करते ही अस्पताल नए भवन में शिफ्ट हो गया और कामकाज भी शुरू हो गया। स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों के साथ क्षेत्र के आम लोग भी नए भवन की सौगात से काफी उत्साहित है। दशकों पुराने जर्जर भवन में केवल आधा दर्जन छोटे कमरे मौजूद होने के चलते जहां दवाइयों के स्टोर के लिए कमरे किराए पर लिए गए थे।
वहीं बीएमओ कार्यालय भी काफी साल किराए के निजी कमरों मे चला। मुख्यमंत्री द्वारा इस अस्पताल भवन का निरीक्षण न किए जाने अथवा वर्चुअल उद्घाटन के चलते क्षेत्रवासियों के यहां 100 बेड वाले अस्पताल की घोषणा, विशेषज्ञों की नियुक्ति, स्वास्थ्य कर्मियों के खाली पद भरने व अल्ट्रासाउंड तथा अन्य आधुनिक स्वास्थ्य उपकरणों की उम्मीद पूरी नहीं हो सकी। इतना ही नहीं बस अड्डे से अस्पताल भवन जाने वाले खस्ताहाल संगड़ाह-राजगढ़ रोड़ में इतने गड्ढे है कि मरीज तो मरीज आम लोग भी झटके खाकर परेशान है।
गौरतलब है कि करीब एक लाख की आबादी वाले मेडिकल ब्लॉक संगड़ाह के मुख्यालय पर मौजूद इस अस्पताल में जहां केवल एक डॉक्टर मौजूद है। वहीं एक्स रे, जनरेटर व अल्ट्रासाउंड भी है। स्थानीय कांग्रेस के विधायक पहले ही मुख्यमंत्री पर हवा-हवाई उद्घाटन करने तथा क्षेत्र की अनदेखी के आरोप लगा चुके हैं। बीजेपी मंडल पदाधिकारियों ने साढ़े सात करोड़ का भवन तैयार होने के बाद करीब 2 करोड़ का अतिरिक्त बजट देने के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताया।
उन्होने हाल ही में यहां नई 108 एम्बुलेंस देने तथा 4 अन्य नर्सिस की नियुक्ति पर खुशी जताई और जल्द अन्य सुविधाएं मिलने की उम्मीद जताई। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल द्वारा वर्ष 13 अक्टूबर 2011 को इस भवन का शिलान्यास किया गया था और तब से संबंधित अधिकारियों की लापरवाही व बजट के अभाव के चलते यह भवन तैयार नहीं हो सका।
उस दौरान इसकी लागत केवल साढ़े 5 करोड़ थी, जबकि इसके निर्माण पर साढ़े 7 करोड़ खर्च हो चुके हैं। कार्यवाहक बीएमओ डॉक्टर रोहित ने कहा कि जल्द अतिरिक्त बजट से यहां एमओ रेजिडेंस बनाने को लेकर उच्च अधिकारियों को पत्र भेजा जाएगा, क्योंकि पुराना डॉक्टर आवास करीब 2 किलोमीटर दूर है। लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियन्ता रतन शर्मा ने कहा कि अतिरिक्त बजट कहां खर्च करना है, इस बारे में अभी स्वास्थ्य विभाग से स्पष्ट जानकारी मिलना बाकी है।