मंडी, 30 मई : हिमाचल प्रदेश में मेले व त्योहार हमारी संस्कृति के परिचायक हैं, अपनी परंपराओं और संस्कृति को जीवित रखने व इसे आगे बढ़ाने में सराजी अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। यह बात मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सोमवार को सराज विधानसभा क्षेत्र के जिला स्तरीय कुथाह मेले के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए कही। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि कुथाह मेला आज भी पुराने दिनों की रौनक को बनाए हुए हैं।
उन्होंने सभी को मेले की बधाई देते हुए देवी-देवताओं से सब पर आशीर्वाद बनाए रखने की कामना की। सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि वे बचपन से ही कुथाह मेले में आ रहे हैं। मेलों के दौरान जहां देवी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है, वहीं पुरानी संस्कृति की झलक भी देखने को मिलती है।
इस परंपरा को आगे आने वाली पीढ़ी को भी सहेज कर रखने की जरूरत है। वहीं सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि वे सराज वासियों के आशीर्वाद से विधानसभा में 25 वर्ष पूरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के अस्तित्व में आने के बाद पांच मुख्यमंत्री प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और छठे सीएम के रूप में अब एक सराजी को प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है।
मेले के समापन मौके पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कुथाह मेला मैदान के सुधार और विकास के लिए 25 लाख रुपये देने की घोषणा की। उन्होंने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को इस मैदान को स्टेडियम के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए। उन्होंने राजकीय प्राथमिक स्कूल तुंगाधार का दर्जा बढ़ा कर माध्यमिक स्कूल करने और राजकीय उच्च विद्यालय शोधाधार को राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के रूप में स्तरोन्नत करने की घोषणा की।
कुथाह में सामुदायिक भवन एवं जंजघर के निर्माण की मांग पर इसका प्राक्कलन बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इसे बनाने के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध कराया जाएगा। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने जंजैहली से करसोग और गाड़ागुसैनी के लिए बस सेवा आरम्भ करने की घोषणा भी की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने तुंगासी महामाया मंदिर में पूजा अर्चना भी की।
इस दौरान सीडी कॉपरेटिव सोसायटी के अध्यक्ष कमल राणा, जिला परिषद सदस्य खेम दासी और मीरा चौहान, डीसी मंडी अरिंदम चौधरी, एसपी शालिनी अग्निहोत्री, एसडीएम पारस अग्रवाल, प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी सदस्य गुलजारी लाल, सराज भाजपा महामंत्री टिकम ठाकुर, भीष्म ठाकुर सहित पंचायती राज संस्थाओं के जनप्रतिनिधि और देव समाज के लोग भी मौजूद रहे।