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दिव्यांगों को मिलेंगे समाज की मुख्यधारा में आने के समान अवसर! 

May 24, 2022 by MBM News Network

शिमला, 24 मई : राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने दिव्यांग विद्यार्थियों को उम्मीद की नई किरण दी है। यदि इसे सही ढंग से लागू किया जाए तो उन्हें समाज की मुख्यधारा में आने के समान अवसर मिल सकते हैं। दिव्यांगता के बारे में सामान्य जागरूकता और दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने की तकनीक को शिक्षा शास्त्र के पाठ्यक्रमों का अभिन्न हिस्सा बनाया जाएगा। दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षा विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सुरेंद्र कुमार ने उमंग फाउंडेशन के वेबिनार में यह जानकारी दी। वह उमंग फाउंडेशन के ट्रस्टी भी हैं। 

कार्यक्रम के संयोजक और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में पीएचडी स्कॉलर मुकेश कुमार ने बताया कि “राष्ट्रीय शिक्षा नीति में दिव्यांग विद्यार्थियों के अधिकार” विषय पर आयोजित यह वेबिनार गूगल मीट पर उमंग फाउंडेशन का 36 वां साप्ताहिक कार्यक्रम था। फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करना सभी की जिम्मेदारी है।

डॉ. सुरेंद्र कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में वर्ष 2030 तक दिव्यांग बच्चों समेत सभी बच्चों को स्कूलों में दाखिले का लक्ष्य रखा गया है। यह एक अच्छा कदम है क्योंकि आमतौर पर दिव्यांग विद्यार्थी विभिन्न कारणों से स्कूल जाने से वंचित रह जाते थे। इसके अलावा दाखिले के बाद स्कूल छोड़ने वालों में भी सबसे ज्यादा प्रतिशत उनका होता है। 


स्पेशल एजुकेटर के कोर्स में एक की जगह विभिन्न विकलांगताओं (क्रॉस डिसेबिलिटी) के प्रशिक्षण पर जोर दिया गया है। अभी तक एक स्पेशल एजुकेटर सिर्फ एक प्रकार की विकलांगता वाले बच्चों को पढ़ा पाता था। उन्होंने कहा कि यह बहुत स्वागत योग्य कदम है क्योंकि विकसित देशों में इसे कई दशक पहले लागू किया जा चुका है। 

शिक्षा नीति में दिव्यांग बच्चों के दाखिले के बाद उन्हें स्कूल न छोड़ने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है। उन्हें स्कूलों में रिसोर्स सेंटर, सहायक उपकरणों और स्पेशल एजुकेटर की सुविधा दी जाएगी। ज्यादातर बच्चे इन सुविधाओं के अभाव में स्कूल जाना बंद कर देते हैं। 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में गंभीर विकलांगताओं, लर्निंग और मल्टीपल डिसेबिलिटी वाले बच्चों पर विशेष फोकस किया जाएगा। शिक्षकों को बच्चों की विकलांगताओं को शुरुआती चरण में ही पहचानने के लिए जागरूक बनाया जाएगा। इससे विकलांगता का नकारात्मक प्रभाव न्यूनतम किया जा सकेगा।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय नीति के अनुसार सामान्य बीएड करने वालों के लिए विकलांगता से संबंधित कम अवधि के कोर्स शुरू किए जाएंगे। शिक्षण संस्थानों के परिसर को पूरी तरह बाधा रहित करने की बात भी कही गई है। इसमें विकलांग विद्यार्थियों के आकलन और प्रमाणीकरण का प्रावधान भी है।

उच्च शिक्षा के बारे में इस नीति में कहा गया है कि दाखिलों में दिव्यांग विद्यार्थियों की अपेक्षा न की जाए और उन्हें उनकी आवश्यकता के अनुरूप फॉर्मेट में पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराई जाए। शिक्षण संस्थानों एवं सभी पुस्तकालयों को आधुनिक बनाकर इस प्रकार सुसज्जित किया जाए कि दिव्यांग विद्यार्थियों समेत सभी को उनकी आवश्यकता अनुसार फॉर्मेट में पुस्तकें उपलब्ध हो जाएं।

कार्यक्रम में लगभग 60 युवाओं ने भाग लिया और इसके संचालन में यश ठाकुर, दीक्षा कुमारी, कुलदीप गौतम, उदय वर्मा आदि ने सहयोग दिया।

Filed Under: शिमला, हिमाचल प्रदेश Tagged With: Himachal News In Hindi, Shimla News



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