नाहन, 22 मई : रविवार को ज्ञानवापी मस्जिद और हिमाचल के माजरा में विवाद पर “मुस्लिम नवयुवक सोसायटी” ने बड़ा बयान दिया है। सोसाइटी के अध्यक्ष बॉबी अहमद ने प्रेस वार्ता में हिंदू और मुस्लिम पक्षों से खुदा और भगवान को बदनाम न करने की नसीहत दी है।
माजरा प्रकरण पर बॉबी अहमद ने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है साथ ही बाहरी लोगों द्वारा प्रदेश के माहौल को खराब करने की बात से भी इंकार नहीं किया है। उन्होंने कहा कि राजनीति की लड़ाई में देवी देवताओं व अल्लाह को नहीं लाना चाहिए। कुछ ऐसे षड्यंत्रकारी लोग हैं, जो बाहर से आते हैं और यहां कांड कर चले जाते हैं। जिसका खामियाजा स्थानीय मुस्लिम भाइयों को उठाना पड़ता है।
ज्ञानवापी मस्जिद पर पूछे गए सवाल के जवाब में बॉबी अहमद ने कहा कि सिरमौर के मुस्लिम वर्ग की मांग है कि यदि “ज्ञानवापी मस्जिद” में शिव मंदिर के प्रमाण मिले हैं तो मुस्लिम समाज को इज्जत पूर्वक मंदिर के लिए मस्जिद को छोड़ देना चाहिए। बॉबी ने कहा कि इस्लाम में सच्चा मुसलमान कुरान के मुताबिक चलता है। उन्होंने कहा कि इस्लाम में बड़े मौलाना फतवा जारी करते हैं। फतवे में जायज और नाजायज क्या है, इसे समझे बगैर ही इसे फॉलो किया जाता हैं।
एक सवाल के जवाब में बॉबी अहमद ने मजारों को लेकर 1968 में देवबंद से जारी फतवे का हवाला दिया है। बॉबी अहमद ने कहा कि फतवे में बिल्कुल स्पष्ट रूप से कहा गया है कि देश में चाहे कोई कितना ही बड़ा मौलाना मुफ्ती अथवा मुसलमान हो मजार नहीं कब्र बनाई जाएगी। उन्होंने एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि नाहन से शिमला रोड व कालाअंब-पांवटा साहिब तक 41 मजारे बनी हुई है। उन्होंने चुनौती के साथ कहा कि इनमें से एक भी मजार मुसलमान के द्वारा नहीं बनाई गई है।
उन्होंने हिंदूवादी संगठनों से हाथ जोड़कर निवेदन करते हुए कहा कि उन्हें जिहादी न बुलाया जाए। उन्होंने कहा कि भारत देश हमारी शान है। उन्होंने इस बात से भी इंकार नहीं किया कि हिंदू और मुसलमानों दोनों में ऐसे लोग हैं जो सौहार्दपूर्ण वातावरण को पसंद नहीं करते हैं। बॉबी अहमद ने ऐसे असामाजिक लोगों पर सरकार व प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग भी रखी है।
वार्ता के दौरान फिरोज खान, सरफराज, इमरोज, वारिस अहमद, आरिफ रिजवान, अल्ताफ खान व यासीन आदि उपस्थित रहे।