शिमला, 22 मई : मशोबरा ब्लाॅक के अंतिम छोर की पंचायत पीरन की आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी का भवन जर्जर हालत में हो चुका है। भारी बारिश होने पर कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। विभाग शायद इसी दिन का इंतजार कर रहा है। स्थानीय लोगों के बीते चार सालों से बार-बार आग्रह करने के बावजूद भी आयुर्वेद विभाग कुंभकर्णी नींद में सोया है।
बरसात में सारा पानी छत से नीचे कमरे में आता है जिसको रोकने के लिए कर्मचारियों द्वारा कमरे की छत पर पॉलीथिन लगाया हुआ है। बरसात में पानी और नमी के कारण डिस्पेंसरी का सारा सामान और दवाएं खराब हो जाती है जोकि मनुष्य के इस्तेमाल के लिए वर्जित है। गौर रहे कि वर्ष 1988 के दौरान डिस्पेंसरी का भवन निर्मित किया गया था। 25 वर्ष बीत जाने के बाद इस भवन की कोई मुरम्मत नहीं करवाई गई जिस कारण यह भवन जर्जर हालत में हो चुका है।
बता दें कि स्टाफ के नाम पर इस डिस्पेंसरी में एक मात्र चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है। दरअसल विभाग द्वारा इस डिस्पेंसरी के डॉक्टर को बीते छः माह से डेपूटेशन पर आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी गलोत में भेजा गया है। दूसरी ओर फार्मासिस्ट का एक वर्ष पहले तबादला कर दिया गया है। सरकार ने बीते दिनों एक फार्मासिस्ट के आदेश किए थे उनके द्वारा अपना समायोजन करवा दिया गया।
पूर्व प्रधान दयाराम वर्मा और समाज सेवी प्रीतम ठाकुर ने बताया कि पंचायत के दो स्वास्थ्य संस्थानों में डाॅक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ न होने के कारण लोगों को अपना उपचार करवाने में बहुत परेशानी पेश आ रही है। बताया जा रहा है कि सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के दावे धरातल पर खोखले साबित हो रहे हैं।
उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस औषधालय में डाॅक्टर व अन्य पदों को शीघ्र भरा जाए तथा औषधालय के जर्जर भवन के निर्माण के लिए धनराशि का प्रावधान किया जाए।
गौर रहे कि पीरन पंचायत के लोगों को छुटपुट इलाज के लिए भी शिमला अथवा सोलन जाना पड़ रहा है। दुर्भाग्यवश क्षेत्र में यदि कोई हादसा हो जाए तो पंचायत के दो स्वास्थ्य संस्थानों में फर्सट एड की सुविधा उपलब्ध नहीं है। जिला आयुर्वेद अधिकारी शिमला डाॅ. पवन कुमार जैरथ का कहना है कि असुरक्षित भवन के मरम्मत बारे उच्चाधिकारियों को प्राक्कलन भेजा गया है। इसके अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती करना सरकार का विशेषाधिकार है ।