शिमला, 22 मई : हर अपराध घटित होने से पहले ही एक दस्तक देता है, जो इसे सुन लेता है, वो क्राइम को रोकने या फिर टालने में सफल हो जाता है। ये पुलिस की एक सामान्य थ्योरी भी है।
पुलिस की ट्रेनिंग में एक बात ये भी बताई जाती है कि क्राइम को घटित होने से पहले ही रोकना प्राथमिकता होनी चाहिए। दरअसल, हिमाचल प्रदेश पुलिस पेपर लीक (Police Paper Leak) मामले में भी गड़बड़ी की दस्तक हुई थी, लेकिन इसे न केवल पुलिस मुख्यालय बल्कि सचिवालय ने भी नजरअंदाज कर दिया। अन्यथा, परीक्षा से पहले ही ठोस कदम उठाए जा सकते थे।
दरअसल, शनिवार को एक अपुष्ट खबर आ रही है, इसके मुताबिक लिखित परीक्षा से पहले ही जो व्हाट्सएप चैट वायरल हुई थी, वो सही थी। इसमें प्रश्न पत्र के लीक होने की आशंका जाहिर की जा रही थी। ये ही वो क्राइम से पहले की दस्तक थी, जिसे नजरअंदाज किया गया।
हालांकि, बाद में दबाव बढ़ने पर वायरल चैट (Viral Chat) पर दाड़लाघाट में एक मामला दर्ज कर लिया गया था। जानकारों का कहना है कि अगर उन युवकों से भी बातचीत कर ली जाती, जिनकी चैटिंग हो रही थी तो भी पुलिस को सही समय पर असलियत का पता लग सकता है।
गुनहगार छोड़ता है निशान, पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले में भी ऐसा ही हुआ…
12-13 अप्रैल को कुछ युवक इस बात की शिकायत लेकर शिमला सचिवालय मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे थे कि पेपर लीक हुआ है। उच्च स्तरीय जांच की मांग हुई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। यहां तक की पुलिस मुख्यालय में भी युवक पहुंचे थे।
कमाल की बात ये थी कि लिखित परीक्षा से पहले ही पेपर लीक होने की सुगबुगाहट थी, लेकिन हिमाचल का खुफिया तंत्र भी इससे अनजान था। बड़ा सवाल ये भी है कि क्या पुलिस मुख्यालय ने जानबूझ कर आंखें मूंदी हुई थी या फिर माजरा कुछ और था।
गौरतलब है कि परीक्षा में उत्तीर्ण हुए दो अभ्यर्थियों की चैट वायरल हुई थी। इसके बाद ही परीक्षा पर सवाल उठाए जाने लगे थे।
कुल मिलाकर ये साफ है कि इस मामले में भी पुलिस की अपनी ही थ्यौरी सटीक साबित हुई है, जिसमें क्राइम की दस्तक पहले होने की बात कही जाती है।