नाहन, 18 मई : केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) द्वारा 1356 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जा रहे ग्रीन नेशनल हाईवे कॉरिडोर (राष्ट्रीय राजमार्ग 707) पर पैकेज 3 का कार्य कर रही एचईएस इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड (HES Infra Pvt. Ltd) कंपनी द्वारा देवदार के सैकड़ों हरे-भरे पेड़ काटने का कथित मामला सामने आया है।
जानकारी के अनुसार बीते कुछ दिनों में मिलीभगत से वन-काटुओं और निजी कंपनी ने बिना अनुमति के ही कांडों भटनोल फॉरेस्ट बीट के अंतर्गत तकरीबन 478 देवदार के हरे-भरे पेड़ों को सड़क के कटिंग के कार्य में लगी मशीनों की सहायता से गिराया है। इतना ही नहीं शातिराना तरीके से उनके ठूंठ का भी नामोनिशान मिटा दिया गया है।
स्थानीय निवासी संत राम शर्मा, बहादुर सिंह चौहान, इन्द्र सिंह, कल्याण छींटा, हरी राम, गुमान सिंह, अनिल, गोविंद सिंह, सचिन शर्मा, बिट्टू आदि राहगीरों ने बताया कि आते-जाते रोजाना देवदार के दर्जनों हरे-भरे पेड़ों को सड़क किनारे गिरे हुए देखते हैं। दूसरे दिन वो पेड़ गायब मिलते हैं।
शायद, वन काटुओं द्वारा रात को इन्हे कांट-छांट करके ठिकाने लगा दिया जाता है। उन्होंने बताया की सड़क निर्माण की आड़ में वन काटुओं द्वारा हर रोज अलग-अलग जगहों पर देवदार के दर्जनों पेड़ गिराए जाते हैं।
अहम बात ये है कि सरकार की अनुमति के बाद फॉरेस्ट कॉरपोरेशन ने नियमानुसार निर्माण के दायरे में आने वाले पेड़ों को कई महीने पहले ही काट दिया था, तो अब इन सेंकडो हरे-भरे पेड़ों पर पीला पंजा चलाकर जंगलों को जान बूझकर क्यों उजाड़ा जा रहा है। लिहाजा स्थानीय लोगों ने दबी जुबान में इस बात को भी स्वीकार किया कि बीते मंगलवार को भी करीब देवदार के 17 हरे भरे पेड़ गिराए गए थे।
मामले की मौखिक शिकायत जब वन विभाग के उच्चाधिकारियों से की गई तो उन्होंने मौके पर पहुँच कर बिना कार्यवाही किए ही मामला रफा-दफा कर दिया था। वहीं मौके से मिली तस्वीरें खुद ब्यान कर रही है कि यहाँ पर माफियाओं का राज चलता है। आशंका जाहिर की जा रही है कि वन विभाग की मिलीभगत और नेताओं के आशीर्वाद के बिना इतने बड़े पैमाने पर हरे-भरे पेड़ों को नहीं काटा जा सकता है।
बताते चलें कि उपरोक्त कंपनी द्वारा सड़क की अवैज्ञानिक तरीके से की जा रही कटिंग की वजह से हज़ारों देवदार के हरे पेड़ भी गिरने की कगार पर खड़े हैं, जो बरसात और तेज आंधी तूफान आने की सूरत में ज़मींदोज़ हो सकते हैं। लिहाज़ा वन माफिया द्वारा निजी कंपनी के साथ में मिलकर बड़े स्तर पर जंगलों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
उधर, श्री रेणुका जी वन मण्डल की डीएफओ उर्वशी ठाकुर ने बताया की पहले भी कई मर्तबा इसके बारे में शिकायतें मिल चुकी है, मगर संबंधित वन परिक्षेत्र अधिकारी और फील्ड स्टाफ द्वारा सभी शिकायतों को झुठलाया जाता रहा है। वो स्वयं मौके का निरीक्षण करेंगी, अगर शिकायत सही पाई जाती है तो दोषियों सहित जिम्मेवार कर्मचारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएंगी।