शिमला, 18 मई : चुनावी वर्ष में सरकार के गले का फ़ांस बनती जा रही पुलिस कांस्टेबल भर्ती (Police Constable Recruitment) लिखित परीक्षा प्रश्नपत्र लीक (question paper leak) मामले की सीबीआई जांच की घोषणा कर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मास्टरस्ट्रोक (masterstroke) खेला है। उन्होंने विपक्ष दल कांग्रेस की पूरी रणनीति को धराशाही करते हुए एक झटके में पूरी बाजी बदल दी।
दरअसल विपक्ष पेपर लीक प्रकरण में फ्रंटफुट पर था। पूरे मुद्दे पर कांग्रेस द्वारा सरकार की घेराबंदी की जा रही थी। विपक्ष इस मामले की सीबीआई (CBI) अथवा न्यायिक जांच (judicial investigation) की मांग को लेकर आंदोलनरत था और इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने का भरसक प्रयास कर रहा था। अहम बात यह है कि आम जनमानस खासकर युवाओं में भी सरकार को लेकर अंदरखाते आक्रोश पनप रहा था, क्योंकि 75 हज़ार से ज्यादा युवाओं ने लिखित परीक्षा में शिरकत की थी।
प्रश्नपत्र के मोटी रकम में बिकने की भी बात सामने आई है। ऐसे में सरकार बैकफुट पर चली गई थी। अब सीबीआई जांच की घोषणा से भाजपा का पलड़ा भारी हो गया, क्योंकि मुख्यमंत्री ने निष्पक्ष व पारदर्शी जांच का हवाला देते हुए इस मामले को सीबीआई के हवाले करने का बड़ा फैसला लिया है।
मुख्यमंत्री के इस कदम के साथ एक ही ‘मैसेज’ दिया गया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति रहेगी। दूसरी ओर अब विपक्ष भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इस फैसले की तारीफ करने को मजबूर हो जाएगा।
मुख्यमंत्री ने सीबीआई जांच का ऐलान कर यह भी स्पष्ट किया है कि सरकार की प्राथमिकता निष्पक्ष जांच करवाने की है, भले ही दोषी कोई भी हो। उनका कहना है कि चूंकि प्रदेश पुलिस ने खुद ही पुलिस कॉन्स्टेबल की लिखित परीक्षा का आयोजन करवाया और पुलिस अफसरों की एसआईटी ही मामले की तहकीकात कर रही है। ऐसे में किसी को यह न लगे कि एसआईटी मामले में कथित तौर पर संलिप्त विभाग के अधिकारियों व कर्मियों को बचा रही है। इसे देखते हुए यह मामला सीबीआई के सुपुर्द किया गया है, ताकि जांच में पारदर्शिता व निष्पक्षता बनी रहे।
मुख्यमंत्री ने मामले की जांच कर रही एसआईटी की पीठ थपथपाते हुए यह भी बताने कि कोशिश की है कि प्रदेश सरकार को राज्य के पुलिस अधिकारियों पर भी पूरा भरोसा है। साथ ही सीबीआई जांच कर उन्होंने यह भी संदेश दिया है कि भ्रष्ट अधिकारी व कर्मी के साथ कोई रियायत नहीं बरती जाएगी।
अहम बात यह है कि इस पूरे प्रकरण में मुख्यमंत्री की कुशल व प्रभावशाली कार्यशैली नजर आई है। पहले दिन से मुख्यमंत्री ने मामले में गंभीरता दिखाई। मामला सामने आने पर रात को ही एफआईआर के आदेश दिए गए। अगले दिन लिखित परीक्षा को रद्द करने का फरमान सुनाया। इसके बाद एसआईटी का गठन हुआ। एसआईटी से मुख्यमंत्री ने रोजाना रिपोर्ट तलब की। मुख्यमंत्री के तुरंत एक्शन में आने का असर ये रहा कि एसआईटी के अफसरों ने चंद दिनों में 73 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया।
सीबीआई जांच का ऐलान कर मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि भ्रष्टाचार को वे किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं करते और निष्पक्ष जांच के मद्देनजर उन्होंने ये फैसले लिया है। उन्होंने कहा कि राज्य की एसआईटी ने भी इस दिशा में बेहतरीन काम किया है तथा बहुत गहराई तक जाकर तथ्य एकत्रित किए है।