शिमला, 14 मई : हौसलों में दम हो तो कायनात भी मिजाज बदलती है, ताकि आप अपना लक्ष्य भेदने में कामयाब हो सकें।
ऐसा ही किन्नौर के बटसेरी गांव (Batseri Village) में किसान के घर जन्मे अमित नेगी के साथ भी ‘कंचनजंघा’ (Kangchenjunga) को फतह करने के दौरान बीता। वैसे तो ये दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला है, लेकिन इसे फतह करना इस कारण मुश्किल होता है, क्योंकि मौसम पलों में मिजाज बदलता है।
यकीन मानिए, पहले माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) फतह कर चुके अमित नेगी (Amit Negi) के साथ कुछ ऐसा हुआ कि वो भी दंग थे। कंचनजंघा (8586 मीटर) को फतह करने निकले तो मौसम ने ऐसा साथ दिया कि लक्ष्य को मनमाफिक भेद लिया गया।
31 मई 2021 को अमित नेगी ने कड़ी मशक्कत के बाद विश्व के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट (8848.86 मीटर) को फतह किया था। एक साल के भीतर ही अमित नेगी दूसरी बार चर्चा में आए हैं, क्योंकि शायद ऐसे दुर्लभ ही पर्वतारोही (Mountaineer) होंगे, जिन्होंने 11 महीने के अंतराल में दुनिया की दो उंची चोटियों को नाप डाला हो।
हालांकि पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता, लेकिन काफी हद तक इस बात की भी संभावना है कि देश में चुनिंदा ही पर्वतारोही होंगे, जिन्होंने एक साल से भी कम वक्त में एवरेस्ट व कंचनजंघा को फतह किया हो।
7 मई को कंचनजंघा को फतह करने वाले अमित नेगी ने परिवार से कई अनुभव साझा किए हैं। इसके मुताबिक वो इस बात से हैरान थे कि मई के पहले सप्ताह में ही चोटी पर तिरंगा फहरा दिया। सामान्य तौर पर इस दौरान मौसम अनुकूल होने की संभावना ही लेशमात्र होती है। चूंकि एक साल के भीतर एवरेस्ट के बाद कंचनजंघा को नापना था, लिहाजा ये जानते हुए भी कि मौसम खराब हो सकता है, सफर पर निकल गए थे।
गौरतलब है कि कंचनजंघा को फतह करने के बाद अमित नेगी सुरक्षित नेपाल पहुंच गए हैं। जल्द ही वापस लौटेंगे। अमित नेगी कहते हैं कि मैंने सपना देखा था कि एक दिन इन दोनों पर्वतों पर विजय हासिल करूंगा। एवरेस्ट की सफलता गत वर्ष मिल गई थी, अब कंचनजंघा को भी फतह करने में सफल रहा हूं।
किन्नौर की सांगला वैली के खूबसूरत गांव बटसेरी से ताल्लुक रखने वाले अमित नेगी ये भी कहते हैं कि किसान परिवार से होने के नाते आर्थिक दिक्कतें भी सामने थी। उसके लिए धन को एकत्रित करना आसान नहीं था। अभियान के दौरान काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा।
उन्होंने कहा कि बेहतरीन मौसम ने उनके सपने को साकार किया है। एवरेस्टर अमित नेगी (Mountaineer Amit Negi) का कहना है कि उन्हें डर था कि परिवार मना कर देगा। जब परिवार से बात साझा की तो मेरी मां ने डरते हुए मना कर दिया था, लेकिन पिता ने कहा कि ठीक है, अगर आपका सपना है तो वही करें जो आप चाहते हो, सपना पूरा करें।