सोलन, 9 मई: हिमाचल प्रदेश के सोलन जनपद की कंडाघाट तहसील के एक शख्स की जंगलों की सुरक्षा के प्रति मिसाल सामने आई है। अमूल्य वन संपदा को बचाने की जद्दोजहद में कंडाघाट तहसील के कानो गांव के रहने वाले 43 वर्षीय सुभाष चंद पुत्र बलीराम ने प्राण त्याग दिए।
ये घटना उन लोगों के लिए एक तमाचा है, जो जंगलों की आग को लगाने में रत्ती भर भी संकोच नहीं करते। साथ ही जंगलों को तबाह करने में भी पीछे नहीं हटते। दरअसल, 29 अप्रैल 2022 को सुभाष के गांव के नजदीक आग लग गई थी। वो परिवार के साथ आग बुझाने के लिए घर से निकल गया। आग बुझाने के दौरान अचानक ही तेज हवा चलने लगी।
वो आग की चपेट में आ गया। उसे उपचार के लिए नागरिक अस्पताल चायल भेजा गया। इसके बाद आईजीएमसी शिमला रैफर किया गया। हालत नाजुक होने की वजह से सुभाष को पीजीआई चंडीगढ़ रैफर कर दिया गया था।
रविवार सुबह पीजीआई चंडीगढ़ में सुभाष ने अंतिम सांस तो ली, लेकिन जंगलों की आग लगाने वाले शरारती तत्वों पर एक सवालिया निशान छोड़ गया। कंडाघाट पुलिस द्वारा सीआरपीसी की धारा-174 के तहत कार्रवाई की जा रही है। हाल ही में सिरमौर की कफोटा वन रेंज में भी एक वनरक्षक की आग बुझाने के दौरान मौत हो गई थी। आग पर काबू पाने के दौरान वनरक्षक का पांव फिसल गया। इसके बाद हैड इंजरी के कारण उसकी मौत हो गई थी।
सवाल इस बात पर भी है कि क्या राज्य सरकार ऐसे जांबाजों को किसी मंच पर मरणोपरांत सम्मान देगी या नहीं, जिसके वो हकदार हैं। समूचे प्रदेश खासकर दक्षिण हिमाचल में जंगलों की आग पलक झपकते ही अमूल्य संपदा को राख के ढेर में तब्दील कर देती है। ऐसे बेहद ही कम लोग होंगे, जो अपनी जान पर खेलकर जंगलों की आग को काबू करने की कोशिश करते हैं। 43 साल के दिवंगत सुभाष चंद को एक सेल्यूट बनना चाहिए।