पांवटा साहिब, 9 मई : हरियाणा सरकार द्वारा तूड़ी के दूसरे राज्यों में निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद हिमाचल में पशुचारे का संकट पैदा हो गया है। आम तौर पर गौशाला संचालकों द्वारा अप्रैल माह तक पूरे साल के भूसे को स्टोर कर रख लिया जाता है, ताकि गर्मी में पशु चारे की समस्या न आए। साथ ही गेहूं कटाई के सीजन में नया व सस्ता भूस पुनः खरीदा जा सके।
पशु चारे के संकट पर चिंता व्यक्त करते हुए पांवटा साहिब के गौरक्षक सचिन ओबरॉय ने उपायुक्त सिरमौर को
पशुपालकों की समस्या से अवगत करवाया है। उन्होंने बताया कि अमूमन भूसे को हरियाणा राज्य से खरीदा जाता है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से हरियाणा सरकार ने गेहूं के भूसे को अन्य राज्यों में सप्लाई पर रोक लगा दी है। इससे पशुपालकों को पशुओं की चिंता सताने लगी है।
ओबरॉय ने कहा कि हरियाणा राज्य की रोक के चलते गौवंश समेत अन्य दुधारू पशुओं के भूखे मरने की नौबत आने लगी है। पशुपालकों द्वारा बीते 15 दिन में बार-बार अपनी समस्या से प्रशासन को अवगत करवाया गया है, लेकिन कोई समाधान नहीं हो पा रहा है।
उन्होंने बताया कि हिमाचल के मुख्यमंत्री कार्यालय समेत हरियाणा मुख्यमंत्री कार्यालय, उपायुक्त यमुनानगर, उपायुक्त अंबाला, हिमाचल प्रदेश गौसेवा आयोग के उपाध्यक्ष व हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव को ई मेल भेज कर इस गंभीर समस्या से अवगत करवाया है। लेकिन कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई है।
ओबरॉय ने कहा कि उनके गौ सदन में 60 के करीब पशुधन है और मात्र 1-2 दिन का पशु चारा ही शेष बचा है। अगर प्राथमिकता के तौर पर समस्या का समाधान नहीं किया गया तो पशुधन के मरने की नौबत आ सकती है। उन्होंने प्रशासन से इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करने की अपील की है।
गौरक्षक सचिन ने कहा कि अगर समस्या का समाधान नहीं हुआ तो गौवंश के अधिकार के लिए वो उपायुक्त कार्यालय के सामने धरने पर बैठने को मजबूर होंगे।