नाहन, 3 अप्रैल : अक्सर ही विपक्ष सरकार की महत्वकांक्षी योजना ‘जनमंच’ पर सवाल उठाता रहा है। लेकिन कई बार असहाय व उपेक्षित वर्ग के लिए ये मंच जीवन का टर्निंग प्वाइंट बन जाता है।
सिरमौर में रविवार को जिला स्तरीय जनमंच कार्यक्रम का आयोजन नौणी में हुआ। इस दौरान एक 80 साल की बुजुर्ग दिव्यांग महिला ‘अम्मा’ की दिल को झकझोर देने वाली पीड़ा सामने आई।
बुजुर्ग कृष्णा प्यारी को संतान के तिरस्कार की वजह से दूसरों के यहां रहकर जीवन यापन करना पड़ रहा है। सुरला क्षेत्र की रहने वाली महिला ने रो-रो कर जनमंच में बताया कि पति पटवारी के पद पर कार्यरत था। मृत्यु के बाद बेटे को करुणामूलक आधार पर नौकरी मिल गई।
बेटे की भी मृत्यु हो गई तो बहू को नाहन के डीसी कार्यालय में नौकरी मिली, लेकिन 10 साल पहले उसे घर से निकाल दिया गया। बहू को नौकरी दिलवाने का फैसला भी अम्मा ने इस उम्मीद में लिया था कि उसका बुढ़ापा बहू के सहारे बेहतर होगा। महिला का ये भी कहना था कि दूसरा बेटा उसी गांव में रहता है। आर्थिक रूप से संपन्न है। बावजूद उसके वो भी उसे घर पर रखने को तैयार नहीं है।
हालांकि, कृष्णा प्यारी की तीन बेटियां भी हैं, लेकिन उनकी शादियां हरियाणा में हुई हैं। वो अपनी परिवारों की जिम्मेदारी उठा रही हैं, लिहाजा बुजुर्ग मां की लाठी नहीं बन पा रही। बताया गया कि बुजुर्ग को गांव की ही महिला शकुंतला देवी ने अपने घर पर आसरा दिया हुआ है।
जीवन के इस पड़ाव पर पहुंच चुकी महिला की अंतिम इच्छा है कि दुनिया से जब आंखें बंद हों, तो उस घर में हो जो उसके पति का है। महिला की एक ही गुहार थी कि उसे जीवन के अंतिम दिन अपने पति के घर में ही गुजारने दिए जाएं।
अम्मा की पूरी दास्तां सामने आते ही मंत्री राजेंद्र गर्ग व विधायक डॉ. बिंदल ने तुरंत ही उपायुक्त को एसडीएम व एसपी को जांच के आदेश जारी करने के निर्देश दिए।
विधवा लाचार दिव्यांग महिला के तिरस्कार का ये मामला देवभूमि को शर्मसार कर देने वाला भी है। अमूमन इस तरह के मामले सामने नहीं आते हैं। सोचिए, उस बुजुर्ग महिला के दिल में क्या गुजरती होगी, जिसे आज सार्वजनिक मंच पर उजागर करना पड़ा।