नाहन, 31 मार्च : ऐसा प्रतीत हो रहा है, सूबे के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर दोस्त बलदेव तोमर की 2022 के अंत में विधानसभा में एंट्री को लेकर कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते। टिकट भी मिले, चुनाव भी जीतें।
मात्र 6 महीने के भीतर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का वीरवार को शिलाई विधानसभा क्षेत्र में दूसरा दौरा हुआ। 3 सितंबर 2021 को मुख्यमंत्री ने शिलाई में घोषणाओं का ऐसा अंबार लगाया, जिसे सुनकर हर कोई दंग भी हुआ। एक साथ डीएसपी, एसडीएम कार्यालयों के अलावा घोषणाओं की लंबी फेहरिस्त थी।
31 मार्च 2022 को भी मुख्यमंत्री ने रही-सही घोषणाएं भी कर दी। यही नहीं, उत्तराखंड के चुनाव प्रचार में जाने से पहले मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पांवटा साहिब में भी 2 फरवरी 2022 को शिलाई निवार्चन क्षेत्र के पूर्व विधायक बलदेव तोमर के नेतृत्व में पांवटा साहिब में भी शिलाई के कार्यकर्ताओं से संवाद किया था।
CM ने किया कफोटा महाविद्यालय का लोकार्पण, सतौन में डिग्री कॉलेज की घोषणा
वीरवार को भी खास रहा। सतौन में भी डिग्री कॉलेज की घोषणा हो गई। अब रोनहाट- शिलाई-सतौन से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी में चार महाविद्यालय हो गए हैं। सवाल वो भी तलाशा जा रहा है कि स्टाफ का इंतजाम कैसे होगा।
हिमाचल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप का गृह निर्वाचन क्षेत्र भी सिरमौर में ही है, लेकिन 6 महीने के भीतर वहां भी सीएम के तीन प्रवास नहीं हुए।
नाहन विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री का प्रवास एक साल पहले अप्रैल 2021 में उस समय हुआ था, जब कोविड की दूसरी लहर चल रही थी। वो केवल कोविड की समीक्षा के सिलसिले में ही पहुंचे थे।
पांवटा साहिब के विधायक सुखराम चौधरी पावर मंत्री के पद पर आसीन हैं। ये जरूर है कि शिलाई का रास्ता पांवटा साहिब से जाता हैै। सवाल इस बात पर भी है कि क्या मुख्यमंत्री की दोस्ती की वजह से सिरमौर में असंतुलन पैदा हो रहा है या नहीं।
श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र में पार्टी की एकजुटता पर हमेशा ही संशय बना रहता है। शायद, कांग्रेसी विधायक विनय कुमार की वो मुराद पूरी हो रही हो, जिसमें वो चाहते हैं कि मुख्यमंत्री आए ही न तो बेहतर है।
कुल मिलाकर अब देखना ये होगा कि शिलाई विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री द्वारा की गई बेशुमार घोषणाएं चुनाव से पहले धरातल पर उतरती हैं या नहीं।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व शिलाई में 2017 में विधानसभा चुनाव हारे बलदेव तोमर की दोस्ती जगजाहिर है। सरकार बनते ही तोमर को नागरिक खाद्य एवं आपूर्ति निगम के उपाध्यक्ष जैसा अहम ओहदा सौंपा गया था।