मंडी, 28 मार्च : सोमवार को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर पूरे देश में विभिन्न संगठनों द्वारा केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ रैली निकाली गई। जिला में भी सीटू के बैनर तले 11 ट्रेड यूनियनों ने केंद्र सरकार के खिलाफ रैली निकाली। शहर के बीचो बीच निकाली गई रैली में सैंकड़ों मजदूरों व कर्मचारियों ने हाथों में बैनर लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की।
इस मौके पर सीटू जिला सचिव राजेश शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार जनविरोधी नीतियां लाकर मजदूरों व कर्मचारियों का शोषण करने पर तुली हुई है। उन्होंने विभिन्न ट्रेड यूनियन की मांगों को गिनवाते हुए कहा कि मजदूरों का न्यूनतम वेतन इक्कीस हज़ार रुपये घोषित किया जाए। केंद्र व राज्य का एक समान वेतन घोषित किया जाए। किसानों की फसल के लिए स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशें लागू की जाएं।
महिला शोषण व उत्पीड़न पर रोक लगाई जाए। नई शिक्षा नीति को वापिस लिया जाए। बढ़ती बेरोज़गार पर रोक लगाई जाए व बेरोज़गारी भत्ता दिया जाए। आंगनबाड़ी, मिड डे मील, आशा व अन्य यो जना कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए। मनरेगा में दो सौ दिन का रोज़गार दिया जाए व राज्य सरकार द्वारा घोषित साढ़े तीन सौ रुपये न्यूनतम दैनिक वेतन लागू किया जाए। श्रमिक कल्याण बोर्ड में मनरेगा व निर्माण मजदूरों का पंजीकरण सरल किया जाए। निर्माण मजदूरों की न्यूनतम पेंशन तीन हज़ार रुपये की जाए व उनके सभी लाभों में बढ़ोतरी की जाए। कॉन्ट्रैक्ट,फिक्स टर्म, आउटसोर्स व ठेका प्रणाली की जगह नियमित रोज़गार दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार समान काम का समान वेतन दिया जाए। वहीं कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल की जाए। राजेश शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार सरकारी उपक्रमों में जो निजीकरण को बढ़ावा दे रही है उसे भी बंद किया जाए। बैंक, बीमा, मोटर व्हीकल एक्ट में परिवहन मजदूर व मालिक विरोधी धाराओं को वापिस लिया जाए। 44 श्रम कानून खत्म करके बनाई गई। मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताएं(लेबर कोड) बनाने का निर्णय लिया है उसे भी केंद्र सरकार वापस ले।
राजेश शर्मा ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि उनकी मांगों पर गौर नहीं किया जाता है तो आने वाले समय में आंदोलन और भी उग्र कर दिया जाएगा, जिसकी सारी जिम्मेवारी केंद्र सरकार की होगी।