शिमला, 10 मार्च: हिमाचल के पड़ोसी राज्यों पंजाब व उत्तराखंड में चुनावी तस्वीर साफ हो गई है। उत्तराखंड में भाजपा मिशन-रिपीट के नारे में सफल हो गई तो पंजाब में बड़ा उलट फेर हुआ है।
चुनावी नतीजों को हिमाचल में इस साल के अंत में होने वाले चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है। परिणाम सामने आने के बाद पहाड़ी प्रदेश में दो बातें चर्चा में हैं। पहली ये कि जब उत्तराखंड राज्य में जहां भाजपा की सरकार को नाॅन परफाॅर्मिंग कहा जा रहा था, वहां भी भाजपा रिपीट कर गई है तो हिमाचल में तो भाजपा के लिए राह आसान होगी।
दीगर है कि उत्तराखंड में भाजपा को दो बार मुख्यमंत्री बदलने पड़े थे। 2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम बनाया गया था। 10 मार्च 2021 को तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बना दिया गया। 4 जुलाई 2021 को तीरथ सिंह को हटाकर पुष्कर धामी को युवा मुख्यमंत्री बनाया गया। बार-बार सीएम को हटाना इस बात का साफ संकेत था कि पार्टी सरकार की परफॉर्मेंस से संतुष्ट नहीं हो रही थी।
ऐसी परिस्थितियों के बावजूद भी बीजेपी जीती है। यह बात अलग है कि उत्तराखंड के मौजूदा सीएम पुष्कर धामी चुनाव हार गए। कांग्रेस के भुवन कापड़ी ने धामी को 6 हजार वोटों से हरा दिया।
उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत को भी हार का सामना करना पड़ा। रावत के चेहरे पर ही कांग्रेस ने चुनाव लड़ा। उत्तराखंड में भी हिमाचल की तरह का ही इतिहास रहा है। जनता हर पांच साल बाद सरकार बदल देती थी। अलग राज्य बनने के बाद उत्तराखंड में अब तक चार चुनाव हुए हैं। बीजेपी ने ट्रेंड बदला है।
उधर, पंजाब भी हिमाचल का सीमांत राज्य है। पंजाब में आम आदमी पार्टी की प्रचंड जीत के बाद ये भी चर्चा शुरू हो गई है कि क्या केजरीवाल भी 2022 के चुनाव में हिमाचल में 68 विधानसभा क्षेत्रों में अपने योद्धाओं को उतारेंगे या नहीं। वैसे हिमाचल में तीसरे मोर्चे का कोई खास प्रभाव नहीं रहा है, अलबत्ता ये जरूर रहा है कि एक-दो मर्तबा तीसरी ताकत प्रभावी रही।
भाजपा के प्रेम कुमार धूमल ने अपनी पहली सरकार हिविकां के गठबंधन से ही बनाई थी। वैसे प्रदेश के अधिकांश इलाकों से चार राज्यों में भाजपा की जीत के जश्न को मनाने की खबरें आई, लेकिन कुछ स्थान ऐसे भी थे, जहां पंजाब की जीत पर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता भी जश्न मनाते नजर आए।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो हिमाचल में करीब 10 से 15 ऐसे विधानसभा क्षेत्र हो सकते हैं, जहां मतदाता नए चेहरों की तलाश कर रहे हों। इसमें चाहे कांग्रेस हो या भाजपा या तीसरे विकल्प के तौर पर आम आदमी पार्टी।
कुल मिलाकर हिमाचल के एक छोर आम आदमी पार्टी खड़ी है तो दूसरी तरफ भाजपा की शानदार जीत। अब चंद माह में प्रदेश के चुनाव को लेकर क्या होता है, ये स्थिति फिलहाल तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन जल्द ही साफ भी हो जाएगी।