नाहन, 4 फरवरी : औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब (Industrial Area Kalaamb) में हिमाचल प्रदेश के आबकारी व कराधान विभाग (Excise & Taxation Department) ने हैंड सैनिटाइजर (Hand Sanitizer) की आड़ में स्पिरिट (Spirit) के अवैध कारोबार का पर्दाफाश किया है। चंद सप्ताह पहले मंडी में जहरीली शराब (liqueur) के सेवन से 7 की मौत हो गई थी। विभाग को आशंका है कि जोगिंद्रनगर के गोवर्धन बॉटलिंग प्लांट (Bottling Plant) की सप्लाई कालाअंब से की गई थी।
आपको बता दें कि हैंड सैनिटाइजर में आइसो प्रोपाइल अल्कोहल (iso propyl alcohol) का इस्तेमाल होता है, जबकि शराब के उत्पादन में इथाइल अल्कोहल (ethyl alcohol) को इस्तेमाल किया जाता है। ये साफ है कि दोनों में ही अल्कोहल होता है।
दरअसल, विभाग की टीम ने संयुक्त आयुक्त (Joint Commissioner) उज्जवल राणा के नेतृत्व में औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब में दबिश दी थी। इससे पहले विभाग ई-वे बिलों (e way Bills) का डाटा भी खंगाल चुका था। इसमें विभाग को पता चला कि कालाअंब स्थित औद्योगिक इकाई डच फार्मूलेशन (Dutch Formulation) ने कांगड़ा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को नवंबर व दिसंबर 2021 में हैंड सैनिटाइजर की खेप भेजी है। इसके अलावा तीन खेपों को राजीव गांधी आयुष मेडिकल काॅलेज पपरोला (Rajiv Gandhi Ayush Medical College Paprola) भी भेजा गया।
विभाग ने जब सीएमओ व पपरोला आयुष मेडिकल काॅलेज के प्रधानाचार्य से तस्दीक की तो पता चला कि वहां से सेनिटाइजर को लेकर कोई ऑर्डर जारी नहीं किए गए हैं। ई-वे बिल में ये नजर आया कि कालाअंब से हैंड सैनिटाइजर लेकर जाने वाले ट्रकों का मिलान जोगिंद्रनगर के बॉटलिंग प्लांट से भी हो रहा है। यहीं से विभाग का माथा ठनक गया।
निरीक्षण के दौरान विभाग ने पाया है कि डच फार्मूलेशन में कोई भी प्रोडक्शन नहीं होती। कंपनी को लेकर ड्रग अथाॅरिटी (Drug Athority) द्वारा भी कोई लाईसेंस (License) जारी नहीं किया गया है। यूनिट ने 2020-21 में 8 करोड़ 6 लाख की खरीद ई-वे बिलों के माध्यम से की है। जबकि बिक्री 4 करोड़ 77 लाख की दर्शाई गई। 3 करोड़ 39 लाख रुपए के अंतर का गोलमाल नजर आ रहा है। निरीक्षण के दौरान यूनिट में कोई भी स्टाॅक नहीं पाया गया।
विभाग को ये भी पता चला है कि इसी कंपनी की एक यूनिट हरियाणा के अंबाला में डेनिश लैब के नाम से भी है। फर्म द्वारा इथाइल न्यूटल अल्कोहल (ethyl neutral alcohol) के कारोबार किए जाने की जानकारी भी विभाग को मिली है। विभाग को अंदेशा है कि आइसो प्रोपाइल (iso propyl) व मिथाइल (methyl) का ही हेर-फेर हो रहा था। निरीक्षण के दौरान ये बात सामने आ रही है कि अवैध सप्लाई का धंधा 58 लाख 50 हजार से जु़ड़ा हुआ है। इससे एक लाख बल्क लीटर स्पिरिट खरीदी जा सकती है। लगभग 37 से 40 हजार पेटियां शराब की भी बनाई जा सकती हैं।
एक्साइज कमीश्नर युनस ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि फर्मों द्वारा हैंड सेनिटाइजर सप्लाई करने की आड़ में स्पिरिट की आपूर्ति की जा रही थी। इस मामले को लेकर कालाअंब थाना में भी शिकायत दे दी गई है। उनका कहना है कि फर्मों के मालिक को पक्ष रखने का उचित मौका दिया गया, लेकिन कोई भी जानकारी विभाग को उपलब्ध नहीं करवाई गई। उन्होंने कहा कि विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर गहराई से छानबीन की है। इसके बाद ही तमाम पहलुओं से पर्दा हटा है।
कमीश्नर ने कहा कि इस बात की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता कि गोवर्धन बॉटलिंग प्लांट में स्पिरिट की सप्लाई कालाअंब से ही की गई।