मंडी, 31 जनवरी : पुरानी मंडी से पूर्व पार्षद एवं समाजसेवी सरिता हांडा की अगुवाई में महिला पुरूषों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को डीसी अरिंदम चौधरी से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त का ध्यान पिछले दस सालों से न्याय के लिए भटक रहे एक वरिष्ठ नागरिक महेश उपाध्याय की व्यथा पर केंद्रित किया। महेश उपाध्यक्ष की शहर के जवाहरनगर में जमीन है जो उपर पहाड़ी से आने वाले छिपणू नाले के साथ है।
सब कुछ ठीक था मगर कुछ साल पहले इस नाले जो खसरा नंबर 87 से होकर बहता है, पर किए गए अतिक्रमण ने इसका रूख मोड़ दिया। इससे महेश उपाध्याय की जमीन पर (जो खसरा नंबर 85,86) पर है, यह नाला कहर बरपा रहा है।
उन्होंने डीसी के ध्यान में लाया कि उनके ही कार्यालय से 13 अप्रैल 2018 व 10 अक्तूबर 2018 को नाले पर हुए अवैध कब्जों को हटाकर 15 दिन में उसकी कंप्लेंट रिपोर्ट मांगी गई थी, मगर कुछ नहीं हुआ। यही नहीं वह इस बारे में पिछले दस सालों से हर दरवाजे पर दस्तक दे चुके हैं।
राज्यपाल, मुख्यमंत्री, वन अरणपाल, डीसी, एसडीएम, तहसीलदार, कार्यकारी अधिकारी, आयुक्त नगर निगम सबको अपनी व्यथा बता चुके हैं। पत्राचार की पूरी फाइल उनके पास है। ऑन दी रिकार्ड पूरे दस्तावेज साबित करते हैं कि नाले को उनकी जमीन की ओर मोड़ दिया गया है, मगर सवाल है कि मौके पर कोई कार्रवाई अभी तक नहीं हुई, केवल कागज ही दौड़ रहे हैं।
पूर्व उपायुक्त ऋगवेद ठाकुर ने तो नगर परिषद से नाले के तटीकरण का प्राकलन भी बनवा लिया था, जो साढ़े 9 लाख के करीब है मगर न बजट मिला और न तटीकरण हुआ।
सभी दस्तावेज देख कर उपायुक्त अरिंदम चौधरी ने मौके पर ही आयुक्त नगर निगम को फोन लगाया और उनसे इस पर कार्रवाई करने को कहा। तटीकरण के लिए जितने बजट की जरूरत हो वह देने की भी उन्होंने बात कही। अब महेश उपाध्याय को दस साल के लंबे संघर्ष के बाद उम्मीद जगी है कि छिपणू नाले जो व्यास नदी में मिलने से पहले उनकी जमीन को अवैध कब्जों से मोड़ दिए जाने के कारण तबाह कर रहा है, से बचाया जा सकेगा।