नाहन, 30 जनवरी: 96 साल की उम्र में रविवार दोपहर पदमश्री संत बाबा इकबाल सिंह (Padam Shri Baba Iqbal Singh) जी अपनी तपोस्थली बडू साहिब में दिव्य ज्योति में विलीन हो गए। दरबार साहिब में बाबा की अस्थि कलश रखा जाएगा। बेशक ही बाबा का जन्म पंजाब में हुआ हो, लेकिन उनकी तपोस्थली व कर्मभूमि केवल बडू साहिब ही रही।
ऐसा भी बताया जाता है कि संत तेजा सिंह महाराज को स्वप्न में बडू साहिब में शिक्षा का विस्तार करने के आदेश मिले थे, जिसकी जिम्मेदारी उन्होंने बाबा इकबाल सिंह को सौंपी थी। अंतिम सांस तक बाबा इकबाल सिंह मानवता (Humanity) की सेवा के साथ-साथ गांव स्तर की शिक्षा के प्रयास में लगे रहे। रविवार को एक युग का अंत हुआ है। कलगीधर ट्रस्ट का ये भी कहना है कि महापुरुषों की अस्थियां विसर्जित नहीं की जाती, उन्हें यादगार स्वरूप स्थापित किया जाता है।
बता दें कि जिस दौर में बाबा इकबाल सिंह ने अपने गुरु संत तेजा सिंह के आदेश को मानते हुए बडू साहिब आने का निर्णय लिया था तो कई घंटों का सफर पैदल ही तय करना पड़ा था। इस समय बडू साहिब किसी मैट्रो टाउन की तर्ज पर विकसित है। 1986 में बाबा ने मात्र एक कमरे में पांच विद्यार्थियों से स्कूल की शुरूआत की थी। इस समय उत्तर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 70 हजार विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। अंग्रेजी माध्यम के सीबीएसई (CBSE) से संबद्धता प्राप्त 129 स्कूल पाठशालाओं के अलावा दो निजी विश्वविद्यालय (private university) भी ट्रस्ट द्वारा संचालित किया जा रहा है।
रविवार को बडू साहिब में गुरुद्वारे के समीप अनुयायियों का खासा हजूम उमड़ा था। अंतिम अरदास (prayer) के अलावा शब्द कीर्तन रविवार दोपहर के बाद से ही जारी थे। बाबा के निधन के चंद घंटों के बाद ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पद्मश्री बाबा इकबाल सिंह के निधन पर शोक प्रकट किया था। गौरतलब है कि बाबा को पद्मश्री (Padam Shri) का अनुमोदन पंजाब सरकार द्वारा किया गया था।