मेडसवान फाउंडेशन ने प्रदेश को सौंपी गाड़ियां
सोलन, 15 जनवरी : हिमाचल में राष्ट्रीय एम्बुलेंस सर्विस 108 व 102 का जीवीके कंपनी के साथ करार समाप्त हो गया है। अब सरकार ने बिहार की तर्ज़ पर मेडसवान कंपनी को हिमाचल में एम्बुलेंस सेवा को सुचारू रखने का जिम्मा सौंपा है। इसके लिए सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। मेडसवान फाउंडेशन ने शनिवार को गाड़ियां प्रदेश को सौंप दी हैं। 80 प्रतिशत स्टाफ जो पहले जीवीके में अपनी सेवाएं दे रहा था, इन एम्बुलेंस सेवाओं में भी सेवाएं देगा। जबकि 20 प्रतिशत स्टाफ नई कंपनी तय करेगी।
बातचीत में 108 ईएमटी पूजा व पायलट मनीष ने बताया कि अभी तक सेवाएं जारी रखने को लेकर कोई लैटर नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि इतने वर्षों तक 108 में सेवाएं दी लेकिन उन्हें कोई लैटर नहीं दिया गया है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि उनकी लंबे समय की सेवाओं को नजरअंदाज न करे और उनकी सेवाओं को भी सुचारू रखा जाए। कर्मचारियों ने सरकार से ये भी आग्रह किया की जीवीके कंपनी उनकी बची सैलरी व शेष इन्सेन्टिव अदा करे।
वहीं, मेडसवान कंपनी की और से एम्बुलेंसों का ऑडिट करने आये विक्रम कुमार ने बताया कि गाड़ियों की हालत खस्ता है। वह ऑडिट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्टाफ को उसी तरह रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी व्यवस्थाओ को सुदृढ़ करें। आज शाम आठ बजे से 108 व 102 सुचारू रूप चलेगी।
निश्चित तौर पर देर से ही सही, सरकार ने हिमाचल में राष्ट्रीय एम्बुलेंस सेवा 108 व 102 से जीवीके कंपनी का पीछा छुड़ा ही लिया। इस कंपनी ने कर्मचारियों का जमकर शोषण किया। वहीं गाड़ियां भी खस्ताहाल में हैं। वहीं कई ऐसे कारनामे इस कंपनी ने किए, जिससे सरकार को लाखो करोडो की चपत लगी। सरकार भी इसी बात में खुश रही की एंबुलेंस चल रही है। उन्होंने भी जीवीके कंपनी पर कोई नकेल कसने का साहस नहीं दिखाया। खैर, अब देखना होगा नई कंपनी किस तरह से इस जीवनदायिनी सर्विस को चलाती है।