कुल्लू, 02 जनवरी : “होनहार बिरवान के होत चिकने पात” यह कहावत कुल्लू की पंडित खुशबू भारद्वाज पर यथार्थ बैठती है। छोटी आयु में ही स्कूली स्तर पर गायिकी का शौक था। गांव, शहर में जहां कहीं पर भी कोई उत्सव होता, खुशबू गाने के लिए हमेशा सबसे आगे रहती है। खुशबू ने अनेक मंचों पर अपनी गायकी का लोहा मनवाया है। वह विशेषकर कुल्लवी गाने गाती है। हिंदी और पहाड़ी के साथ संस्कृत में भी उसे गाने की महारत हासिल है।
खुशबु ने हाल ही सुंदरनगर में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय इंटर कॉलेज फेस्टिवल में गायत्री कॉलेज ऑफ एजुकेशन का प्रतिनिधित्व करके लोक गायकी में पहला स्थान हासिल किया है। उन्होंने कॉलेज के साथ कुल्लू का नाम भी रोशन किया है। वह गर्व के साथ कहती है कि कुल्लवी गायकी में जो लय, रस और संस्कार है, उसका कोई मुकाबला नहीं।
खुशबु कुल्लू दशहरा जैसे बड़े मंचों पर अपनी गायिकी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर चुकी है। इसके अलावा भी अनेक जिलों में खुशबु ने अपनी कुल्लवी प्रस्तुति से जिला की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से लोगों को परिचित करवाया है। खुशबु कहती है कि हमें अपनी संस्कृति से प्यार करना चाहिए। इसे सर्वोपरि बनाए रखने के लिए हर संभव के प्रयास करने चाहिए।