नाहन, 01 जनवरी : 2022 के आगाज पर हिमाचल के सिरमौर मुख्यालय से करीब 11 किलोमीटर दूर बनकला से देश को एक खास तरह की रिवाल्वर (Revolver) मिली है। इस वैपन (Weapon) की लाॅन्चिंग (Launching) रात ठीक 12 बजे शेख आर्म्स एंड एम्युनेशन (Arms and Ammunition) के फैक्टरी परिसर में उपायुक्त राम कुमार गौतम द्वारा सादगीपूर्ण समारोह में की गई। बता दें कि समूचे देश के निजी क्षेत्र में पिस्टल व रिवाल्वर (pistol and revolver) बनाने का लाइसेंस नाहन के रहने वाले शकील अहमद को 2017 में मिला था। देश के नामी घरानों को पछाड़ कर शकील अहमद इस लाइसेंस को हासिल करने में सफल हुए थे।
खैर, आपके मन में ये एक सवाल उठ रहा होगा कि आखिर इस रिवाल्वर की खास बात क्या है, जो इसे पहले से उपलब्ध रिवाल्वर से अलग बनाती है। दरअसल, शकील अहमद को गोला बारूद व बंदूकों से जुड़ा हुनर विरासत (inheritance) में मिला है। टीम के साथ मिलकर ‘रेंजर’ रिवाल्वर का डिजाइन (Design) तैयार किया। इसमें एक ऐसी चिप लगी है जो स्कैन करते ही मैन्युफैक्चर (Manufacturer) व लाइसेंस धारक (license holder) से जुड़ी तमाम जानकारी उपलब्ध करवा देगी। 2019 में फैक्टरी में पिस्टल का उत्पादन शुरू हुआ था। लाॅन्चिंग पर रेंजर पिस्टल की कीमत एक लाख 30 हजार रुपए तय की गई है। पांच साल की वारंटी भी रहेगी। फैैक्टरी परिसर में एक शानदार शूटिंग रेंज का निर्माण भी करीब-करीब पूरा हो चुका है।
शकील बताते हैं कि रिवाल्वर की बिक्री पूरी पारदर्शिता (transparency) से ही होगी। ऑनलाइन आवेदन केवल वही लोग कर पाएंगे, जो लाइसेंस होल्डर हैं। उल्लेखनीय है कि नाहन में बंदूकों के ऐसे भी कारीगर रहे हैं जो वैपन को देखकर हूबहू वैसा ही हथियार तैयार कर देते थे। इसमें एक नाम दिवंगत अब्दुल सितार का भी है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि वैपन के उत्पादन में भारत विश्व भर में काफी पीछे रहा है। लिहाजा, अब मेड इन इंडिया पिस्टल व रिवाल्वर (Made in India pistol and revolver) का उत्पादन देश के लिए कई मायने रखता है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में शकील अहमद का ये भी कहना था कि रिवाल्वर को बनाने के लिए जर्मनी के सॉफ्टवेयर (Software) व मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि इसके मैटल को अमेरिका से आयात (Import) किया जा रहा है। रिवाल्वर की लाॅन्चिंग के दौरान उपायुक्त आरके गौतम ने कहा कि हिमाचल के लिए ये गौरव की बात है कि यहीं के रहने वाले व्यक्ति ने वैपन उत्पादन में देश भर में नाम कमाया है।
डीसी ने कहा कि अक्सर ही पिस्टल जल्द उपलब्ध करवाने को लेकर कई फोन आते हैं, जिन्हें ये साफ करना पड़ता है कि पारी आने पर ही वैपन मिलेगा।
उधर, इस मौके पर मौजूद उद्योग विभाग के महाप्रबंधक (general manager) जीएस चैहान ने कहा कि यह खुशी की बात है कि पिस्टल व रिवाल्वर बनाने का पहला लाइसेंस हिमाचल को मिला। उनका कहना था कि जल्द ही इस फैक्टरी की उत्पादन क्षमता (production capability) बढ़ेगी।
उत्पादन को लेकर….
देश भर में यहां बनी पिस्तौलों की डिमांड जबरदस्त है। कई-कई महीनों तक वेटिंग रहती है। शकील अहमद का कहना है कि रिवाल्वर की ऑनलाइन बुकिंग एक जनवरी से खुल गई हैं। उन्होंने बताया कि अब तक औसतन रोजाना 5 पिस्टल बनाई जा रही थी। रिवाल्वर का उत्पादन भी साथ-साथ ही होगा। उत्पादन क्षमता जल्द ही चार गुणा तक बढ़ा ली जाएगी।
इलैक्ट्रिशियन से वैपन उत्पादन…
90 के दशक में शकील अहमद एक इलैक्ट्रिशियन (Electrician) के तौर पर कार्य कर रहे थे। हालांकि, बारूद उत्पादन के पुश्तैनी कार्य को भी आगे बढ़ा रहे थे। इसी बीच 2016-17 में केंद्र सरकार ने हथियारों के उत्पादन को निजी क्षेत्र को सौंपने का निर्णय लिया। यहीं से शकील अहमद ने लाइसेंस लेने के नामुमकिन कार्य को मुमकिन कर दिखाया। हालांकि, शहर के आतिशबाज लोकल बारूद से आतिशबाजी (Fireworks) तो बनाने में माहिर हैं, लेकिन किसी ने ये नहीं सोचा कि विरासत में पिस्टल व रिवाल्वर जैसे हथियार बनाने का हुनर भी हाथों में है।
बता दें कि पहले सरकार की आर्डिनेंस फैक्टरियों (ordnance factories) में ही हथियारों का उत्पादन होता था। करीब चार साल पहले ही निजी कंपनियों को भी इसका लाइसेंस देने का निर्णय लिया गया।
ये भी खास बातें….
इसका वनज 650 ग्राम के आसपास है। इसका डिजाइन खुद ही फैक्टरी की टीम ने निदेशक शकील की देखरेख में बनाया है। इसमें 6 बुलेट लोड हो सकेंगी। यहां बनाई जा रही तीन तरह की पिस्तौलों में 6-9-14 बुलेट लोड होती हैं। अगर खरीददार टैस्टिंग करना चाहता है तो रेंज भी उपलब्ध है।