मंडी, 29 दिसंबर : आईआईटी के एक शोधकर्ता ने स्टार्टअप के तहत बिच्छू बूटी (Urtica) के धागे को सूत (Cotton) के साथ मिश्रित कर उच्च गुणवत्ता की फैब्रिक को बनाने में सफलता हासिल की हैं। रोचक बात ये है कि ये फैब्रिक (कपड़ा) सर्दी में शरीर को गर्मी का अहसास देगा तो गर्मी में शीतलता प्रदान करेगा।
रंगाई में भी प्राकृतिक रंगों का उपयोग होगा। बता दे कि संस्थान के शोधकर्ता “बिच्छू बूटी” के अलावा हिमालय क्षेत्र में पाए जाने वाली घास की कई किस्मों से भी फाइबर-फैब्रिक बनाने की तकनीक पर कार्य कर रहे हैं।
यदि बिच्छू बूटी के कपडे को पंख मिले तो जंगलो में फैली झाड़ियो से छुटकारा मिलेगा। भविष्य के लिए फैब्रिक (Fabric) उत्पादन करने वाली कंपनियों बिच्छू बूटी को एकत्रित करने की डिमांड करेगी। स्वयं सहायता समूहों और महिला मंडलों की मदद भी ली जा सकती है। लाजमी तौर पर इससे रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। गौरतलब है कि हिमाचल सहित कई राज्यों में “बिच्छू बूटी” साग या दवा बनाने तक ही सीमित थी। इसमें विटामिन ए, सी, आयरन और कैल्शियम पाया जाता है।
चंबा, मंडी, कुल्लू, लाहौल-स्पीति, शिमला, रामपुर की बिच्छू बूटी गुणवत्ता में सर्वोत्तम पाई गई है। शरीर के स्पर्श से चुभन व जलन होती है। लोग इस पौधे को अब तक बेकार मानते आये हैं। लेकिन अब इसकी कीमत 20 से 50 रुपए प्रति किलो तक होने लगी है। बता दे कि हाल ही में एक मंडी में “बिछु बूटी” बेहतर दामों पर बेची गई थी। इसी बीच असिस्टेंट प्रोफेसर (Botany) डॉ तारा देवी सेन ने कहा कि तीन हजार फीट की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाई जाने वाली बिच्छू बूटी औषधीय गुणों से भरपूर होती है। ये पौधे हिमाचल के अधिकांश इलाकों में पाए जाते है।
उधर आईआईटी मंडी के निदेशक अजीत कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि शोधकर्ता “बिच्छू बूटी” से बने धागे को कॉटन के साथ मिश्रित कर उच्च गुणवत्ता का फैब्रिक बनाने में सफल रहे हैं। यह फैब्रिक कॉटन की अपेक्षा कम सिकुड़ता है।