नाहन, 27 दिसंबर: हिमाचल में सड़क हादसे अनमोल जीवन छीन लेते हैं। हादसों को नियंत्रित करने के मकसद से पुलिस भी कई अभियान चलाती है, लेकिन धरातल पर सफलता नहीं मिलती।
आंकड़ो के मुताबिक 2021 में 15 अक्तूबर तक सड़क हादसों में 817 लोगों ने अपनी जान गवां दी, जबकि 2617 जख्मी हुए। कुल, 1862 हादसे रिपोर्ट किए जा चुके हैं। इन्हीं आंकड़ों के मद्देनजर श्री साईं अस्पताल के कंसलटेंट न्यूरो सर्जन डाॅ. वरुण गर्ग से ये जानने का प्रयास किया गया कि आखिर कैसे अनमोल जीवन बचाए जा सकते हैं।
डाॅ. गर्ग ने कहा कि हादसों की रोकथाम ही पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। चालकों को ये समझना होगा कि ड्राइविंग के दौरान धूम्रपान, मोबाइल का इस्तेमाल, तेज रफ्तारी व सीट बैल्ट का उपयोग न करना, अपने ही जीवन के लिए घातक है। उनका कहना था कि सड़क हादसे के घायल को बचाने के लिए एक से तीन घंटे बेशकीमती होते हैं। अक्सर ही मौत की वजह हैड इंजरी होती है।
एक अहम जानकारी में डाॅ. वरुण गर्ग ने कहा कि अक्सर ही घायलों को रेस्क्यू के दौरान अनजाने में चूक होती है। लिहाजा, अगर घायल को ट्रांसपोर्ट किया जाना है तो इसके लिए यह जानना बेहद ही लाजमी है कि घायल को घटनास्थल से लिफ्ट करने के दौरान 3-4 लोग होने चाहिए। गले के नीचे व कमर से उठाने के अलावा दो लोगों को टांगों की तरफ से उठाना चाहिए। कतई भी हड़बड़ाहट में घायल को लिफ्ट नहीं करना चाहिए।
न्यूरो सर्जन के तौर पर 8 साल से सेवाएं दे रहे डाॅ. वरुण गर्ग हर शुक्रवार को श्री साईं अस्पताल में बतौर कंसलटेंट फैकल्टी भी उपलब्ध रहते हैं। उनका कहना है कि घायल को बचाने के लिए पहला एक घंटा बेशकीमती होता है। हिमाचल जैसे पहाड़ी प्रदेश में एक से तीन घंटे के भीतर मरीज को ऐसे स्वास्थ्य संस्थान तक पहुंचाना कठिन होता है, जहां सीटी स्कैन के अलावा विशेषज्ञ मौजूद हों।
उनका कहना था कि सड़क हादसे के बाद होने वाली मौतों को टाइम के हिसाब से तीन हिस्सों में विभाजित किया जा सकता है। 50 फीसदी की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो जाती है। दूसरा समय एक से तीन घंटे का होता है, इसे गोल्डन आवर कहा जा सकता है। इस अवधि में अगर घायल को ट्राॅमा केयर मिल जाती है तो मौत की संभावना बहुत कम हो जाती है। तीसरा समय 3 से 4 सप्ताह के बीच का होता है। जब चोट के प्रभाव से बाॅडी के मल्टी ऑर्गन निष्क्रिय होने शुरू होते हैं। ऐसी स्थिति में सड़क हादसे के घायलों को नजदीकी उपचार केंद्र में पहुंचाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि सड़क हादसे के दौरान अगर आप किसी की मदद करते हैं तो उस व्यक्ति को सरकार द्वारा भी सम्मानित किया जाता है। डाॅ. वरुण गर्ग ने ये भी सलाह दी है कि घायलों को सड़क पर तड़पता हुआ न छोडें।
श्री साईं मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल व ट्राॅमा सैंटर में सुपर स्पेशलिस्ट डाॅ. वरुण गर्ग का ये भी कहना था कि सबको मिलकर ये प्रयास करना चाहिए कि सड़क हादसों में हम अनमोल जीवन न गंवाए।