शिमला, 20 दिसम्बर : सूबे में जिला परिषद का चुनाव लड़ चुकी एक महिला उम्मीदवार ने 11 माह बाद चुनाव परिणाम को लेकर सवाल खड़े किए हैं। जिला शिमला के धामी हालोग से जिला परिषद उम्मीदवार रही अनिता शर्मा ने मतगणना में धांधली का आरोप लगाते हुए दोबारा मतगणना करवाने की मांग की है।
उन्होंने मतगणना में धांधली का आरोप लगाते हुए प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर दोबारा मतगणना नहीं करवाई गई, तो वह अनशन पर बैठ जाएगी और इस दोैरान अगर उसे कुछ हो गया, तो प्रशासन इसका जिम्मेदार होगा। दरअसल जिला परिषद के इस साल जनवरी में चुनाव हुए थे, जिसकी मतगणना 22 जनवरी को हुई थी तथा अनीता शर्मा अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी से 201 मतों से पराजित हुई।
अनिता शर्मा ने सोमवार को प्रेस वार्ता में आरोप लगाया कि तत्कालीन रिटर्निंग ऑफिसर (आर. ओ) ने उनके एजेंट को समय पर मतगणना केन्द्र में जाने नहीं दिया। कायदे से जिला परिषद के उम्मीदवारों के एजेंट्स को भी बीसीसी की गणना के वक्त अंदर केंद्र में जाने की इजाजत देनी चाहिए थी।
मगर उनके एजेंट को तब जाने दिया गया जब जिला परिषद के वोटों की गणना शुरू हुई। जबकि बीडीसी और जिला परिषद के वोट एक ही बॉक्स में थे। लेकिन उनके एजेंट के केंद्र में आने से पहले ही मतों के बंडल बना दिए गए थे।
उन्होंने आरोप लगाया कि मतगणना में धांधली हुई है तथा मतगणना के समय केंद्र में कोई निजता नहीं रखी गई। जिला परिषद की गणना के समय केंद्र के अंदर हर कोई जा रहा था। यही नहीं उन्होंने यह भी आरोप लगाए कि जिला परिषद् के मतों की गणना आनन फानन में निपटा दी गई। उन्होंने कहा कि एक ओर बीडीसी की काउंटिंग के लिए औसतन तीन घंटे का समय दिया गया, वहीं जिला परिषद के मतों की गणना एक घंटे में ही निपटा दी गई। उन्होंने आरोप लगाया की गणना के समय एजेंट्स को बिना फॉर्म्स ही जाने दिया गया।
हालांकि उन्होंने वोटों की रिकाउंटिंग की मांग की, लेकिन इस मांग को नहीं माना गया। उन्होंने कहा की इस संबंध में एक याचिका डीसी कोर्ट में दी गई है।
अनीता शर्मा ने कहा कि रिकाउंटिग की मांग को लेकर डीसी के कोर्ट में दूसरे दिन ही याचिका दायर की गई थी। लेकिन अब तक इसका निपटारा नहीं किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रतिवादी पक्ष कई तरह के अड़ंगे लगा कर मामले को लटका रहा है। इससे इस पर फैसला नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा की अगर जल्द उनकी याचिका पर फैसला नहीं लिया गया तो वह अनशन पर बैठेंगी।
हालांकि वह डायबिटीज की मरीज है। लेकिन वो मजबूरी में यह कदम उठा रही है। ऐसे में अगर उनके साथ अनशन के दौरान कुछ अनहोनी होती है तो इसकी जिम्मेवारी प्रशासन की होगी।