शिमला, 16 दिसम्बर : राष्ट्रीयकृत बैंकों को निजी हाथों में सौंपने की केंद्र सरकार की कवायद के विरोध में प्रदेश के 12 हजार से अधिक बैंक कर्मचारियों ने वीरवार को हड़ताल पर रहकर रोष व्यक्त किया। बैंक कर्मचारियों की हड़ताल के चलते प्रदेशभर में लगभग 800 करोड़ रुपये का लेन-देन प्रभावित हुआ है।
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूबीएफयू) के आहवान पर पूरे प्रदेश में बैंक अधिकारी और कर्मचारी सड़कों पर उतर आए। इनकी हड़ताल की वजह से बैंकों में कामकाज ठप होने से खाताधारकों को बैरंग लौटना पड़ा। गुस्साए कर्मचारियों ने शिमला के उपायुक्त कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन कर बैंकों के निजीकरण का विरोध करते हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
प्रदेश में एक साथ हजारों अधिकारी-कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से बैंकिंग कार्यों पर व्यापक असर पड़ा। चेक और ड्राफ्ट का क्लीयरेंस नहीं हो सका। साथ ही नकदी का लेन-देन व बैंक से जुड़े अन्रू कार्य भी ठप रहे। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूबीएफयू) के प्रदेश संयोजक नरेंद्र शर्मा ने बताया कि प्रदेशभर के बैंक कर्मचारियों ने अपने-अपने जिलों में प्रदर्शन किया।
शिमला में बैंक कर्मचारी अपरान्ह 11 बजे उपायुक्त कार्यालय के बाहर एकत्र हुए। यहां करीब एक घंटे तक कर्मचारियों ने निजीकरण की नीति के खिलाफ नारेबाजी कर विरोध जताया। उन्होंने कहा कि यूबीएफयू के आहवान पर शुक्रवार को भी हिमाचल सहित पूरे देश में बैंक कर्मचारियों की हड़ताल जारी रहेगी।
उन्होंने कहा कि बैंकों को निजीकरण से बचाने के लिए यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने बैंक बचाओ-देश बचाओ का नारा दिया है। इस मुहिम के जरिए यूएफबीयू पब्लिक सैक्टर के बैंकों के अस्तित्व को बचाने के साथ देश की आम जनता के हितों को संरक्षित रखने की लड़ाई भी लड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट घरानों की जनता की गाढ़ी कमाई के 157 लाख करोड़ रुपये जो राष्ट्रीकृत बैंकों के डिपॉजिट पर नजर है तथा बैंकों के निजीकरण से ये कॉर्पोरेट घराने इस डिपॉजिट की रकम का मनमाने तरीके से ऋण ले सकेंगे। अब अगर सार्वजनिक बैंकों का निजीकरण किया जाएगा और उन्हें निजी कंपनियों के हाथों में सौंप दिया जाएगा तो इससे सबसे बड़ा नुकसान देश की जनता का होगा, क्योंकि प्राइवेट बैंकों का मकसद सिर्फ लाभ कमाना होगा ना कि लोगों की सेवा करना और भारतीय अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चरमरा जाएगी।