नाहन, 16 दिसंबर : दलित शोषण मुक्ति मंच की एक बैठक अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष संजय पुंडीर की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में प्रदेश में चल रहे दलित वर्ग के अधिकारों को छीनने की कोशिश पर चर्चा की गई।
बैठक में संयोजक आशीष कुमार ने प्रदेश के अन्दर सोशल मीडिया पर गाली-गलौच और दलितों के अधिकारों को खत्म करने के प्रयास और अभियान चलाए जा रहे है, उस पर चिंता प्रकट की।
बैठक में युवा विकास क्लब के सचिव बिंदु राज, हरीश कन्याल, और क्रिश्चियन कम्युनिटी से परवीन सोढा, वाल्मीकि सभा से अचपाल, रविदास समाज से बाबुराम, अखिल भारतीय कोली समाज के महासचिव संदीपक तोमर, बेलीराम और अशोक तोमर ने विशेष रूप से भाग लिया। बैठक में कहा गया कि क्षत्रिय समाज का आंदोलन सरकार द्वारा प्रायोजित है।
अनुसूचित जाति के संगठनों ने एकजुट होकर “दलित शोषण मुक्ति मंच” के बैनर तले संविधान विरोधी इन ताकतों का विरोध करने को लेकर आवाज बुलंद की। दलित शोषण मुक्ति मंच के जिला संयोजक आशीष कुमार ने कहा कि आजादी के बाद आज भी देश के अंदर दलितों पर हमले जारी है। आरक्षण के नाम पर नौकरियों को छीनने का नारा देकर सरकार आरएसएस के एजेण्डा को ही आगे बढ़ा रही है। जिसके पीछे ये साजिश साफ नजर आती हैं कि लोग असली मुद्दों से भटक कर जातिगत हिंसा करने पर उतारू हो जाए।
आशीष कुमार ने कहा कि प्रदेश के अंदर सामान्य वर्ग बनाने की बात चल रही है, ये अपने आप में हास्यप्रद है, क्योंकि आयोग हमेशा ही समाज के कमजोर तबको के लिए बनाए जाते हैं। आशीष कुमार ने कहा कि इस तरह के आयोग बनाने का फैसला और एट्रोसिटी एक्ट को खत्म करने की मांग कर समाज में जातिगत भेदभाव बढ़ाने और दलितों का खुलेआम कत्लेआम करने का लाइसेन्स मांग रहे हैं।
आशीष कुमार ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के अन्दर तथाकथित स्वर्ण समाज अपने लिए स्वर्ण आयोग बनाने की मांग और आरक्षण को खत्म करने और एट्रोसिटी एक्ट को खत्म करने की मांग हो रही है। ये मांग कोई एक दिन या एक व्यक्ति की दिमाग की उपज नही है, बल्कि इस तरह की मांग राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा का मुख्य भाग है।
अखिल भारतीय कोली समाज के महासचिव संदीपक तोमर ने कहा कि इस तरह की चुनोतियों से सांझे मंच और सांझे संघर्षों से ही सफलता हासिल की जा सकती है। जिसके लिए प्रदेश में दलित शोषण मुक्ति मंच एक मात्र मंच है, जिसके माध्यम से हम इस लड़ाई को और मजबूत करेंगे।
युवा विकास क्लब के अध्यक्ष हरीश कन्याल ने कहा कि शोषण के खिलाफ इस लड़ाई में सभी प्रगतिशील संगठनों को राजनीतिक विचारधारों से ऊपर उठकर इस लड़ाई को लड़ने के लिए एक मंच पर आना होगा, तभी शोषण के खिलाफ इस लड़ाई में सफलता हासिल की जा सकती है।
बेलीराम ने कहा कि जो आरक्षण विरोधी वातावरण चल रहा है ये मनुवादियों को मात्र इसलिए अखरता है कि संविधान की वजह से जो अधिकार दलित समुदाय को मिले हैं, उन अधिकारों को लेने के लिए दलित समुदाय एकजुट होने लगे हैं। आज भी देश के अंदर दलितों और महिलाओं पर ये हमले जारी हैं।
बिंदु राज ने कहा कि मात्र एक संवैधानिक व्यवस्था ही है, जिसमें समाज के शोषित वर्ग के लिए अधिकार सुनिश्चित किए हैं। जब ये वर्ग इन अधिकारों का कुछ प्रतिशत उपयोग करने लगा है, तब इससे मनुवादियों के विचारों को हल्का सा धक्का लगता है। ये लोग आज संविधान को ही खत्म करने लगे हैं।