मंडी, 14 दिसंबर : मरीज अपनी तकलीफ को लेकर नेरचौक मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर के पास जाता है। डॉक्टर जांच पड़ताल करने के बाद तकलीफ का सही आकलन करने के लिए अल्ट्रासाउंड करने की सलाह देता है। मरीज जब अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए जाता है, तो उसकी पर्ची पर पांच महीने बाद की तारीख देकर उसे वापिस भेज दिया जाता है। अब आप ही सोचिए कि जिस मरीज को तकलीफ आज है और उस तकलीफ का पता लगाने के लिए पांच महीने बाद अल्ट्रासाउंड किया जाए, तो उस मरीज पर क्या बीतेगी। इन दिनों यह सब हो रहा है, श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कालेज एवं अस्पताल नेरचौक में।
यहां लंबे अरसे के बाद अल्ट्रासाउंड की सुविधा तो शुरू हुई, लेकिन यह सुविधा होना, न होने के बराबर ही है। दरअसल मेडिकल कॉलेज नेरचौक में रेडियोलॉजिस्ट की कमी के कारण समय पर अल्ट्रासाउंड नहीं हो पा रहे हैं। यही कारण है कि लोगों को पांच महीने बाद की तारीख दी जा रही है। बता दें कि सरकारी अस्पताल में अल्ट्रासाउंड पूरी तरह से निशुल्क है जबकि प्राइवेट संस्थान इसके 1500 रुपए चार्ज करते हैं।
मरीज बोले- पांच महीने तक तो और बढ़ जाएगी समस्या
बीते कल मेडिकल कॉलेज नेरचौक में अपना चैकअप करवाने आए अनिल कुमार और प्रमीला ने बताया कि उन्हें अल्ट्रासाउंड के लिए 23 मई 2022 की तारीख मिली है। दिक्कत आज हो रही है और उसका पता लगाने के लिए पांच महीनों तक इंतजार करना पड़ेगा। ऐसे में मजबूरन बाहर पैसे खर्च करके अल्ट्रासाउंड करवाने के सिवाय और कोई विकल्प नहीं है। सरकार को इस तरफ सोचना चाहिए।
रेडियोलॉजिस्ट की कमी के कारण आ रही है समस्या
नेरचौक मेडिकल कालेज के एसएमएस डा. पन्नालाल ने बताया कि अस्पताल में रेडियोलाजिस्ट की कमी चल रही है। रेडियोलाजी विभाग सिर्फ एक सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर और एक असिस्टेंट प्रोफेसर के सहारे चल रहा है। सरकार को इस संदर्भ में कई बार लिखा है। रिक्त पद भर दिए जाते हैं तो फिर समस्या का भी समाधान हो जाएगा।