सुंदरनगर, 12 दिसंबर : पेशे से सिविल इंजीनियर (Civil Engineer) आशीष कुमार ने ड्राई फ्रूट्स के राजा “काजू” की प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर एक अलग सोच का उदाहरण पेश किया है। वो अब खुद नौकरी के लिए नहीं भटकते है बल्कि अल्प समय में ऐसी स्थिति में आ गए है कि अपने गांव की महिलाओं को भी रोजगार मुहैया कराने लगे है। बेशक ही मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना मददगार बनी है लेकिन ये तो आशीष को ही तय करना था कि क्या यूनिट लगाई जानी चाहिए।
ये सफलता (Success Story) की कहानी स्वाद, सेहत, स्वरोजगार और सरकारी सहयोग के शानदार मेल से शानदार उदाहरण बनी है। मंडी जनपद की सुंदरनगर (Sunder Nagar) तहसील के रामपुर, कनैड़ गांव के 32 वर्षीय आशीष ने मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना (Mukhyamantri Swavalamban Yojana) में सरकारी मदद से “कैश्यू हाउस” (cashew nut house) चला रहे है। इससे आशीष की हर माह तमाम खर्चों के बाद 1 लाख रुपये की आमदनी भी हो रही हैं।
आयुष विभाग में आयुर्वेद अधिकारी रहे आशीष के पिता डॉ. अनिल कुमार कौंडल भी सेवानिवृत्ति के बाद बेटे के व्यवसाय (business) में हाथ बंटा रहे हैं। वे बेटे की सफलता से बेहद खुश हैं। आशीष कुमार का कहना है कि उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है, रोजगार (Employment) मांगने की बजाय रोजगार दाता (Employer) बनने की मन में मजबूत चाह थी कि अपना (Self) कारोबार (Business) शुरू करने की ठान (Decide) ली। सेहत (Health) बनाने और दिमाग (Brain) बढ़ाने के लिए ड्राई फ्रूट्स का राजा (King of Dry Fruits) माने- जाने वाले “काजू” के काम में अपना इंजीनियरिंग (Engineering वाला दिमाग (Brain) लगाया, जिससे उन्हें अब जीवन में स्वरोजगार का स्वाद ( Taste of self-employment) मिल रहा है।
सपने साकार करने को सीएम का आभार
आशीष कुमार उन हजारों सफल युवा उद्यमियों ( Young Entrepreneur) में से एक हैं, जिन्हें सपनों (Dreams) को पूरा करने में हिमाचल सरकार (Himachal Government) से मदद (Support) मिली है। बता दें, काम शुरू करने के चाहवान युवाओं के लिए हिमाचल सरकार की मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना वरदान बनी है। प्रदेश के हजारों युवा इस योजना का लाभ लेकर खुद तो आत्मनिर्भर (Self dependent) बने ही हैं, वे अब अन्यों को रोजगार देने के काबिल हो गए हैं। मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना में युवाओं को अपनी पसंद का कामकाज (work of your choice) शुरू करने को सरकार की ओर से वित्तीय सहायता (Financial Support) प्रदान की जाती है।
नवंबर 2020 में शुरू किया था कारोबार
आशीष बताते हैं कि मार्च 2020 में मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना में उनके प्रोजेक्ट को स्वीकृति मिली थी। कोविड 19 के चलते काम शुरू करने में 6-8 महीने निकल गए। नवंबर 2020 से ‘आरडा कैश्यू हाउस’ नाम से अपना यूनिट आरंभ किया। इसके लिए योजना के तहत बैंक से 27 लाख रुपये का केस बनाया। जिस पर सरकार ने 5.11 लाख रुपये की सब्सिडी दी। काम में पूरी मेहनत झोंक दी, आज माता-पिता के आशीर्वाद, भगवान की कृपा और सरकार की मदद से अच्छा काम चल रहा है।
महिलाओं को घर द्वार पर रोजगार
रामपुर, कनैड़ में यूनिट लगने से ग्रामीण महिलाओं को घर पर ही रोजगार उपलब्ध हो रहा है। यूनिट में कार्य करने वाली बिमला, राजकुमारी, गीता देवी और कुन्ता सहित अन्य महिलाओं का कहना है कि घर द्वार पर रोजगार से वे आर्थिक रूप से सक्षम हुई हैं। आशीष बताते हैं कि काजू की साइजिंग और ग्रेडिंग के लिए सूरत गुजरात से मशीनरी लाई गई है। इसके लिए गांव की 7 महिलाएं प्लांट में रेगुलर काम कर रही हैं। इसके अलावा गांव की 20 से ज्यादा महिलाओं को समय समय पर काजू की छंटाई के काम दिया जाता है। वे छंटाई के लिए काजू अपने घर ले जाती हैं जिससे वे अपनी फुरसत के मुताबिक काम कर सकती हैं। इसके लिए उन्हें 25 रुपये प्रति किलो के हिसाब से भुगतान किया जाता है। वहीं तकनीकी कामकाज के लिए दूसरे राज्यों के 5 लोग भी प्लांट में काम पर रखे हैं।
रोजाना प्रोसेस किया जाता है 100 किलो काजू
आशीष बताते हैं कि वे साल में 4 महीने भारत के अलग-अलग राज्यों से कच्चा काजू मंगवाते हैं, बाकी 8 महीने अफ्रीका से काजू खरीदा जाता है। यहां प्रोसेसिंग और पैकिंग होती हैं। काजू की मंडी के साथ-साथ हमीरपुर और कुल्लू में सप्लाई हो रही है। अलग-अलग क्वालिटी के काजू की बाजार में विभिन्न दरों पर बिक्री होती है। ये 600 से लेकर 1600 रुपये तक प्रति किलो के हिसाब से बिकता है। फैक्ट्री में रोजाना करीब 100 किलो काजू प्रोसेस होता है। इसके बाद पैकिंग की जाती है। भविष्य में रोजाना 500 किलो की प्रोसेसिंग की कोशिश की जा रही हैं। इसके लिए वे साइजिंग और ग्रेडिंग की नई मशीनरी लाने वाले हैं।