पांवटा साहिब, 6 दिसंबर : एक साल से भी कम वक्त में दादा-दादी के निधन के बाद होनहार इकलौती पोती मल्लिका ने संसार त्याग दिया। हालांकि, वो बचपन से ही दिल की बीमारी से पीड़ित थी, लेकिन हौंसला बुलंद था। हमेशा ही पढ़ाई में 95 प्रतिशत अंक लेने वाली मल्लिका ने अल्प जीवन में अपनी जिंदगी को खूबसूरत तरीके से जिया। चंद रोज पहले तबीयत बिगड़ी तो मल्लिका की मां उसे लेकर देहरादून पहुंची। वहां से निराशा मिली तो उम्म्मीद में बच्ची को दिल्ली पहुंचाया गया। वहीं, मल्लिका ने अंतिम सांस ली।
सोमवार को शहर के मोक्षधाम में जब मल्लिका का अंतिम संस्कार हुआ तो हर आंख नम थी। चूंकि पिता मोहनीश मोहन की शहर में एक खास पहचान है। इसकी वजह उनका विनम्र स्वभाव है। यही कारण था कि समूचे शहर में उनकी बेटी के निधन की खबर सुनकर हर कोई स्तब्ध था और गमगीन भी। अप्रैल 2021 में जब पिता एक मुसीबत में फंसे, तब से ही परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया था। कुछ अरसा बाद ही मोहनीश मोहन की मां का निधन हो गया। इससे कुछ माह पहले वो अपने पिता को खो चुके थे।
एक साल से भी कम समय में परिवार के तीन सदस्यों के निधन से आंखों में आंसुओं का सैलाब भी सूख चुका है। परिवार ने एक ऐसी विपदा का सामना किया है, जिसे सुनकर हर कोई सिहर उठता है। लेकिन इस दुख के पल में एक बात ये भी अहम है कि माता-पिता ने अपनी बेटी की एक बेटे की तरह परवरिश की।
शायद उन्हें इस बात का इल्म रहा होगा कि मल्लिका की उम्र अल्प है, बावजूद इसके सिंगल गर्ल चाइल्ड की सोच से ‘बेटी है अनमोल’ के नारे को भी सार्थक करने का प्रयास किया।