रोनहाट, 06 दिसंबर : हिमचाल में इन दिनों पुलिस की वेतन विसंगति का मामला खासा तूल पकड़ा हुआ है। सोशल मीडिया पर #Justice_for_HP_Police खासा ट्रेन्ड कर रहा है। हालात यह हो गए है कि पुलिसकर्मियों को अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरना पड़ गया। वहीं, बीते दिन की घटना के बाद, जब पुलिसकर्मियों के परिजनों ने राष्ट्रिय बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा का काफिला रोका दिया, पूरे प्रदेश में हलचल मची हुई है। हिमचाल पुलिस के DGP संजय कुंडू सहित आला अधिकारी भी मामले को लेकर हरकत में आ गए है। पुलिस मुख्यालय की तरफ से वेतन विसंगति के मामले 4 सदस्यीय टीम गठित की गई है, जिनसे 4 दिनों के भीतर रिपोर्ट तलब की है।
हिमाचल पुलिस बल जिसे विश्वसनीय, व्यावसायिक और ईमानदारी से एक जन हितेशी के रूप में वर्षों तक अथक कार्य करने पर देश भर में राष्ट्रपति कलर अवॉर्ड सम्मान पाने वाले आठवें राज्य पुलिस बल बनने का गौरव हासिल हुआ है, आज भी राज्य सरकार के वेतन विसंगति की मार से जूझ रहा है।
यदि आपको आसान से शब्दों में हिमाचल पुलिस बल की वेतन विसंगति के बारे में बताया जाए तो वर्ष 2000 में सिपाही भर्ती होने के बाद वर्ष 2009 में हवलदार के पद पर पदोन्नत होने वाले पुलिस कर्मियों का वेतन वर्ष 2021 में भी 51 हजार रुपए है। जबकि वर्ष 2008 से 2012 में सिपाही भर्ती होने के बाद वर्ष 2021 में भी बतौर सिपाही अपनी सेवाएं दे रहे पुलिस कर्मियों का वेतन 58000 रुपए है। ऐसे में पुलिस विभाग की रीढ़ की हड्डी कहलाये जाने वाले हवलदार आज अपने से निचले रैंक के सिपाही से भी कम वेतन लेकर खुद को ठगा महसूस कर रहे है।
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इसी तरह वर्ष 2013 के बाद पुलिस कर्मियों को नियमित आधार पर सिपाही भर्ती करने के बावजूद भी सरकार द्वारा तनख्वाह आठ वर्षों तक अनुबंध के आधार पर दी जा रही है जबकि नए नियमों के अनुसार अन्य सभी विभागों के कर्मचारियों को मात्र 2 वर्षों के अनुबंध के बाद से नियमित रूप से सेवा में लाकर बढ़ी हुई तनख्वाह व अन्य सुविधाओं का लाभ दिया जा रहा है। पुलिसकर्मियों को अलाउयन्स के नाम पर भी महज झुनझुना थमाया जाता है उन्हें कन्वेयन्स अलाउयन्स के 20 रुपए, किट मेंट्नेन्स अलाउयन्स 30 रुपए और राशन अलाउयन्स के नाम पर 210 रुपए प्रति माह प्रदान किए जाते है। इसके अलावा हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) बेसिक तनख्वाह के हिसाब से न्यूनतम 400 रुपए और अधिकतम 600 रुपए प्रति माह दिया जाता है।
जेसीसी की बैठक के बाद सेकड़ों पुलिस कर्मी मुख्यमंत्री के आवास पहुंचकर अनुशासित ढंग से अपनी मांग रखने गये थे बावजूद इसके राज्य पुलिस बल के उपरोक्त कर्मचारियों की मांग तो पूरी नहीं की गई मगर इसके विपरीत मुख्यमंत्री द्वारा हिमाचल पुलिस महानिदेशक को कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनहीनता के तहत कार्यवाही करने के आदेश जारी किए गये है। हालांकि हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री स्वयं ही गृह मंत्रालय का जिम्मा संभालते आए है बावजूद उसके राज्य पुलिस बल के हजारों कर्मचारियों को राहत प्रदान करने में सरकार अक्सर अपने हाथ पीछे खिचती आई है।
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एक जानकारी के अनुसार वर्ष 1857 में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एक अंग्रेजी सेन्य बल द्वारा विद्रोह किए जाने के उपरांत वर्ष 1861 में तत्कालीन अंग्रेजी हुकूमत द्वारा नियम बनाए गए की कोई सेन्य बल किसी प्रकार का विरोध प्रदर्शन व हड़ताल नहीं कर सकेंगे जो नियम आज भी भारत सरकार द्वारा विभिन्न राज्यों के पुलिस बल पर प्रभावी ढंग से लागू है और हिमाचल प्रदेश पुलिस एक्ट 2007 तथा पंजाब पुलिस नियमावली 1934 के तहत आज भी क्रियाशील है। यहीं कारण हैं की राज्य पुलिस बल के कर्मचारी अपने अधिकारों और वेतन विसंगतियों जैसी अन्य समस्याओ के बारे में आवाज नहीं उठा सकते है जिसका खामियाजा राज्य के हजारों पुलिस मुलाजिमों को लगातार भुगतना पड़ रहा है।
वेसे तो आर्मी और पुलिस बल का आधार अनुशासन माना जाता है जिसमें बड़े रैंक और छोटे रैंक के मध्य अनुशासन और वरिष्ठता के नियम का विशेष ख्याल रखा जाता है। परंतु सरकार द्वारा स्वयं ही इस अनुशासन के नियम को भंग करते हुए वेतन विसंगति और पुलिसकर्मीयों की अन्य समस्याओं को लगातार बरकरार रखा गया है। कई मर्तबा मुलाजमानों द्वारा अनुशासित ढंग से अपनी माँगों को सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया गया मगर बावजूद इसके वेतन विसंगति सहित अन्य समस्याओं को दूर नहीं किया गया है। जिसके कारण राज्य पुलिस बल के कर्मचारियों का मनोबल लगातार गिरता जा रहा है।
उधर, पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने पुलिसकर्मियों के 8 वर्षों के अनुबंध के सम्बंध में बताया कि मामला पुलिस मुख्यालय की तरफ़ से सरकार को भेज दिया गया है जो वर्तमान में सरकार के पास विचाराधीन है। इसके अलावा वेतन विसंगतियों को लेकर पुलिस महानिदेशक ने बताया की जिन कर्मचारियों को वेतन विसंगति से सम्बंधित कोई समस्या है वो सरकार अथवा राज्यपाल को इसके बारे में अनुशासित तरीक़े से अपना ज्ञापन दे सकते है उसके बाद अगर सरकार द्वारा पुलिस मुख्यालय को इस बाबत कोई आदेश दिए जाते है तो नियमानुसार उन्हें अमल में लाया जाएगा। उपरोक्त सभी मामलों में केवल सरकार ही फ़ैसला लेने में सक्षम है।
लिहाज़ा वर्तमान सरकार और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से पुलिस मुलाजिमों को उम्मीद है की उनकी चिरलंबित मांगों को पूरा करके सरकार उन्हे जल्द राहत प्रदान करेगी।