शिमला, 01 दिसंबर : जिला शिमला के मतियाना खण्ड की ग्राम-पंचायत कोट-शिलारु के बटलौथ गांव के निवासी आचार्य सुरेश शर्मा भारद्वाज ‘गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ व ‘बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड- लंदन‘ में शामिल होने के पश्चात अब ‘जन-रामायण अखंड काव्यरचना’ में सम्मिलित होंगे। इस काव्य रचना के आयोजन के पीछे एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है- जन-जन तक भगवान श्रीराम के आदर्शों की स्थापना करना और लोगों में उनके प्रति जन जागरण लाना। इसी के निमित्त जन-रामायण नामक एक अंतरराष्ट्रीय साझा महाग्रंथ का प्रकाशन भी किया जा रहा है। इस अनूठे महाग्रंथ का लोकार्पण अयोध्या में किया जाएगा।
गौरतलब है कि साहित्योदय संस्था पिछले 3 वर्षों से साहित्य, कला, संस्कृति और समाज के लिए लगातार कार्य कर रही है। अंतर्राष्ट्रीय साहित्य कला संस्कृति न्यास साहित्योदय के बैनर तले आगामी 5-6 दिसंबर को विश्व कीर्तिमान स्थापित करने जा रहा है। इसके तहत जन-रामायण अखंड काव्यरचना 26 घंटे का अनवरत चलने वाला काव्य पाठ होगा, जिसमें दुनिया भर के 200 से अधिक प्रसिद्ध रचनाकार सम्मिलित होंगे।
उन्हीं प्रसिद्ध रचनाकारों में हिमाचल प्रदेश के शिमला जनपद के आचार्य सुरेश शर्मा भारद्वाज भी राम और रामायण से जुड़ी मौलिक कविताओं का पाठ करेंगे। कार्यक्रम का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से सम्पन्न होगा, जो 05 दिसंबर को सुबह 8:00 बजे से प्रारंभ होकर 06 दिसंबर को सुबह 10:00 बजे संपन्न होगा।
आचार्य के काव्य पाठ का समय 05 तारीख को सायं 4:00 से 5:00 के मध्य होगा। इस अखण्ड काव्य पाठ का संचालन 25 सुप्रसिद्ध एंकर करेंगे और कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के साहित्यकार, कलाकार अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे।
कार्यक्रम का सीधा प्रसारण साहित्योदय चैनल के माध्यम से पूरे विश्व में होगा। भगवान श्रीराम पर मौलिक काव्य पाठ का पूरे विश्व में यह पहला और अनूठा आयोजन हो रहा है। सिर्फ कोरोना काल के इन डेढ़ से दो वर्षों में 2000 से अधिक लोगों की प्रस्तुति हो चुकी है। साहित्योदय के 100 से अधिक देशों में लाखों प्रशंसक हैं। 02 दर्जन से अधिक देशों और सभी प्रांतों में शाखाएं कार्यरत है।
इस अखण्ड श्रीराम काव्यार्चन को सफ़लतम बनाने हेतु विश्व भर के दर्जनों साहित्यकार अपने-अपने उत्तरदायित्वों के निर्वहन हेतु प्रयासरत हैं। वहीं आचार्य सुरेश शर्मा भारद्वाज जो गोरक्षनाथ राजकीय संस्कृत महाविद्यालय नाहन में सहायक प्रोफेसर, साहित्य विभाग के पद पर कार्यरत है और रामकाज़ को सफ़लतम बनाने हेतु साहित्य साधना में करते हैं।