मंडी, 25 नवंबर : भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा आयुर्वेद से जुड़े ड्रग रेगुलेटर्स, इंडस्ट्री पर्सनल और स्टेकहोल्डर्स के लिए दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन मंडी में किया जा रहा है। कोरोना काल के बाद देश में नॉर्थ जोन की यह पहली कार्यशाला आयोजित की जा रही है, जिसमें ड्रग मैनुफेक्चरर, ड्रग लाइसेंसिंग अथॉरिटी और इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को रेगुलेटरी ट्रेनिंग प्रोग्राम दिया जा रहा है। इसमें आयुष मंत्रालय के रिसोर्स पर्सन, सीसीआरएस के साइंटिस्ट हैं। रीजनल रिसर्च इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञ विशेष रूप से शामिल होकर मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन्स पर विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।
कार्यशाला में हिमाचल से 23, उत्तराखंड से 7, हरियाणा से 4, जेएंडके से 2 और पंजाब से वर्चुअली माध्यम से डेलिगेट्स जुड़कर जानकारियां हासिल कर रहे हैं। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के उप सलाहकार डॉ. एस.आर. चिंता ने बताया कि कार्यशाला के दौरान क्वालिटी मेडिसिन का निर्माण, लाइसेंस जारी करते वक्त किन किन बातों का ध्यान रखना है और इससे संबंधित उद्योगों ने किस प्रकार से कार्य करना है, जैसी बातों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
कार्यशाला में आए सेंट्रल स्टैंडर्ड कंट्रोल आग्रेनाइजेशन के डिप्टी ड्रग कंट्रोलर डा. एसपी शाहनी ने बताया कि भारत में बनने वाली आयुष की दवाओं की विदेशों में काफी ज्यादा मांग है। लेकिन विदेशों में दवाओं को एक्सपोर्ट करने से पहले उनके सही और गुणवत्तापूर्वक निर्माण पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है और इन्हीं सब बातों पर यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
वहीं हिमाचल प्रदेश सरकार के आयुष विभाग के तकनीकी उपनिदेशक डा. सुंदर शर्मा ने इस कार्यशाला को हिमाचल के संदर्भ में बेहतरीन प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि यहां के लोगों को जिन बातों की जानकारी चाहिए थी, वो सब जानकारी इस कार्यशाला के माध्यम से उन्हें दी जा रही है।
इस मौके पर भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की सहायक सलाहकार डा. रचना पालीवाल, सीसीआरएएस हेडक्वार्टर के सहायक निदेशक डॉ. रविंद्र सिंह, आयुष मंत्रालय के सहायक निदेशक डा. एके मीणा और क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान पंडोह के सहायक निदेशक एवं प्रभारी डॉ. राजेश संड सहित अन्य गणमान्य लोग भी मौजूद रहे।