नाहन, 25 नवंबर : मेडिकल कॉलेज नाहन में सरकारी स्तर पर जिला की पहली लैपरोस्कोपिक सर्जरी की गई है। गिरिपार के गत्ताधार क्षेत्र की 26 वर्षीय नारदा देवी लंबे समय से पित्त की थैली में पत्थरी की समस्या से परेशान थी। मेडिकल कॉलेज में लैपरोस्कोपिक सर्जरी की व्यवस्था हो चुकी थी।
बहरहाल असिस्टेंट प्रो. डॉ. शैलेंद्र कौशिक, डॉ अरविंद कंवर, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ गिरीश शर्मा, डॉ मनीष शर्मा, स्टाफ नर्स शाहिदा, रितिका, ओटी तकनीशियन स्वर्ण, संदीप की टीम ने सर्जरी को लैपरोस्कोपिक तकनीक से करने का फैसला लिया है। कड़ी मेहनत के बाद इस सर्जरी को सफल अंजाम दिया गया।
डॉ शैलेंद्र के अनुसार लैपरोस्कोपिक सर्जरी यानी दूरबीन की मदद से होने वाली सर्जरी से रोगी के शरीर के कम हिस्से की चीर फाड़ होती है। इसके चलते ऑपरेशन के बाद जख्म जल्द ही ठीक हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि निजी अस्पतालों में इस सर्जरी के लिए रोगियों को हजारों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। लेकिन अब सरकारी स्तर पर यह सुविधा उपलब्ध हो गई है।
बता दें कि रोगी सर्जरी के लिए या तो निजी अस्पतालों का रुख करते थे या फिर आईजीएमसी. शिमला या चंडीगढ़ में स्थित सरकारी अस्पतालों में जाते थे। इससे न केवल उन पर आर्थिक बोझ पड़ता था, बल्कि परेशानी का सामना भी करना पड़ता था।
सरकार द्वारा अक्सर लगाए जाते थे शिविर…
इससे पूर्व लैपरोस्कोपिक सर्जरी के लिए मेडिकल कॉलेज में अन्य राज्यों से निजी अस्पतालों से संपर्क कर यहां कैंप आयोजित किए जाते थे। जिनके विशेषज्ञ चिकित्सक यहां लैपरोस्कोपिक सर्जरी करते थे। लेकिन यह शिविर वर्ष में एक-दो बार ही आयोजित होते थे। इस कारण बहुत कम ही रोगियों को इसका लाभ मिल पाता था।